Mithilesh Yadav
25 Nov 2025
धर्म डेस्क। भारत में आज रविवार, 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) लगने जा रहा है। खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि यह साल 2022 के बाद भारत से दिखाई देने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। इस दौरान चांद लाल-नारंगी रंग में नजर आएगा जिसे ब्लड मून कहा जाता है।
ग्रहण शुरू: रात 9:56 बजे
पूर्ण चंद्र ग्रहण (ब्लड मून): रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक
पीक टाइम: रात 11:41 बजे
ग्रहण खत्म: रात 1:26 बजे
कुल अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट रहेगी, जबकि ब्लड मून 82 मिनट तक दिखाई देगा।
यह चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
भारत: पूरे देश से स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
एशिया और ऑस्ट्रेलिया: सबसे अच्छा दृश्य मिलेगा क्योंकि वहां ग्रहण के समय चांद आसमान में ऊंचाई पर होगा।
यूरोप और अफ्रीका: लोग इसे चांद निकलने के समय कुछ देर के लिए देख पाएंगे।
अनुमान है कि दुनिया की करीब 77% आबादी इस ग्रहण को देख सकेगी।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है।
सूतक काल शुरुआत: दोपहर 12:57 बजे
सूतक समाप्ति: ग्रहण खत्म होने के बाद, यानी रात 1:26 बजे
चंद्र ग्रहण का स्पर्श काल रात 8 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगा, मुख्य चरण रात 11 बजकर 42 मिनट पर होगा और मोक्ष काल इसका रात 2 बजकर 24 मिनट पर होगा। यानी भारत में संपूर्ण ग्रहण काल की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट की रहेगी।
सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और शुभ कार्य करने से परहेज किया जाता है।
यह चंद्र ग्रहण कई दुर्लभ संयोग लेकर आया है-
जब पृथ्वी सूर्य और चांद के बीच आ जाती है और सूर्य की रोशनी सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती, तब चंद्र ग्रहण लगता है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब चांद पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाए।
आंशिक चंद्र ग्रहण: जब चांद का केवल कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढके।
उपछाया चंद्र ग्रहण: जब केवल हल्की छाया चंद्रमा पर पड़े।
वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्र ग्रहण एक सुरक्षित खगोलीय घटना है। इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है, किसी चश्मे या फिल्टर की जरूरत नहीं होती। टेलिस्कोप और दूरबीन से देखने पर यह और भी ज्यादा साफ नजर आता है।
NASA और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों ने यह भी स्पष्ट किया है कि ग्रहण के दौरान खाना खराब होना, अशुभ घटनाएं होना या प्राकृतिक आपदाएं आना सिर्फ अंधविश्वास हैं, इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
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