Naresh Bhagoria
25 Nov 2025
राजीव सोनी, भोपाल। मध्यप्रदेश में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत लघु फिल्म महोत्सव (ISSFF-2026) के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन का चयन किया गया है। 10 से 12 जनवरी तक आयोजित इस इस फिल्म महोत्सव में जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, अमेरिका, इंडोनेशिया, यूएई और नेपाल सहित करीब एक दर्जन देशों की लघु फिल्में, रील्स और यूट्यूब शार्ट्स शामिल रहेंगीं। देवभाषा संस्कृत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग के लिए संस्कृत भारती का यह सातवां फेस्टिवल है। आयोजन में भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में फिल्माई गई संस्कृत की करीब 125 फिल्मों में से सर्वश्रेष्ठ 5 फिल्म को पुरस्कृत किया जाएगा।
उज्जैन में फिल्म फेस्टिवल आयोजन के लिए संस्कृत भारती, कालिदास अकादमी सहित अन्य संगठनों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। आयोजन के पहले दो दिन संस्कृत की फिल्मों पर केंद्रित वर्कशॉप में दुनिया भर के संस्कृत विशेषज्ञ और फिल्म समीक्षक फिल्मों की भाषा, फोटोग्राफी, संदेश सहित फिल्म के तकनीकी पक्ष पर विचार विमर्श करेंगे।
नासिक में दो बार, मुंबई, नागपुर, चेन्नई और गोवा के बाद अब यह फेस्टिवल उज्जैन में होगा। उज्जैन, प्राचीनतम सप्तपुरियों (अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन व द्वारका) में से एक धार्मिक शहर है। यह संयोग ही है कि सातवें महोत्सव के लिए उज्जैन चुना गया है।
संस्कृत भारती द्वारा दुनिया भर के संस्कृत फिल्म मेकर्स से प्रविष्टियां बुलाई गई हैं। इस साल फिल्म फेस्टिवल की थीम- ‘पंच परिवर्तन’ पर केंद्रित की गई है। पंच परिवर्तन के बारे में स्पष्ट किया गया है कि जिसमें -स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य,पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता एवं कुटुम्ब प्रबोधन जैसे विषय अंतर्निहित हों। सभी फिल्मों की विषय वस्तु इन्हीं विषयों पर केंद्रित रखने को कहा गया है।
संस्कृत की लघु फिल्मों के प्रति आम पब्लिक की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए फिल्मकारों के लिए लघु फिल्म की समय सीमा अधिकतम 10 मिनट और रील्स के लिए 60 सेकंड की अवधि तय की गई है। फिल्मकारों के लिए उदाहरणार्थ पंचतंत्र की कथाओंसहित धार्मिक आख्यानों की विषय -वस्तु के टिप्स दिए गए हैं। इन कहानियों की गुणवत्ता और समाज को नैतिकता जैसे मैसेज संप्रेषित करने का आग्रह भी है।
कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन के डायरेक्टर डॉ.गोविंद गंधे ने कहा कि मप्र में पहली बार उज्जैन में संस्कृत लघु फिल्म फेस्टिवल होना गौरव का विषय है। देवभाषा संस्कृत दूसरे देशों में भी लोकप्रिय हो रही है। आयोजन में लघु फिल्मों के साथ संस्कृत में बनी 'रील्स' भी शामिल की गई हैं।