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Bhopal News : नगर निगम के रिटायर इंजीनियर पीके जैन के घर और ऑफिस पर रेड, 10 से ज्यादा प्रॉपर्टी की डिटेल मिली, विदेशी निवेश की भी हो रही जांच

भोपाल। लोकायुक्त पुलिस ने नगर निगम के रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (अधीक्षण यंत्री) पीके जैन के यहां सुबह-सुबह छापा मारा। प्रारंभिक तौर मिली जानकारी के अनुसार, जैन के लालघाटी में लॉर्ड्स कॉलोनी स्थित उनके निवास पर लोकायुक्त पुलिस की टीम ने पहुंचकर छापामार कार्रवाई की। इसके अलावा लोकायुक्त पुलिस का एक दल भोपाल स्मार्ट सिटी कंपनी के दफ्तर भी पहुंचा। निगम से रिटायर होने के बाद पीके जैन यहां संविदा पर कार्यरत थे। लोकायुक्त पुलिस की टीम ने यहां भी तलाशी ली है।

मकान की तलाशी के दौरान 5 करोड़ से ज्यादा की अचल संपत्ति, 85 लाख से ज्यादा जेवरात के बिल, लाखों के निवेश के रिकॉर्ड, विदेश यात्रा के रिकॉर्ड प्राप्त हुए हैं। बैंक लॉकर की तलाशी अलग से की जाएगी।

विदेश में निवेश करने की मिली थी शिकायत

प्रारंभिक तौर पर मिली जानकारी के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस को जैन के खिलाफ विदेश में भारी-भरकम रकम का निवेश करने की शिकायत मिली थी। ये शिकायत पिछले महीने ही लोकायुक्त कार्यालय को भेजी गई थी। इसी शिकायत के आधार पर लोकायुक्त पुलिस ने जैन के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की है। फिलहाल, छानबीन जारी है।

संपत्ति के दस्तावेज मिले

एसपी लोकायुक्त पुलिस भोपाल मनु व्यास ने जानकारी दी है कि भोपाल नगर निगम के रिटायर इंजीनियर पीके जैन के घर से अब तक 10 से ज्यादा प्रॉपर्टी की डिटेल मिली हैं। इसके साथ ही विदेशी निवेश के भी कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनकी जांच की जाएगी। एसपी ने बताया कि फिलहाल जैन के घर और उनके स्मार्ट सिटी कंपनी वाले ऑफिस में लोकायुक्त की टीम द्वारा छानबीन जारी है।

लोकायुक्त एसपी के मुताबिक, जैन के खिलाफ एक लिखित शिकायत मिली थी, जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने प्रारंभिक तौर पर जानकारी जुटाई। प्रारंभिक जांच में जब शिकायत के तथ्य सही पाए गए, तो उसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने आज सुबह छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया।

रिटायर होते ही स्मार्ट सिटी कंपनी में मिली नौकरी

बेनामी संपत्ति के मामले में फिलहाल छापा मार कार्रवाई का सामना कर रहे प्रदीप कुमार (पीके) जैन मूल रूप से नगरीय प्रशासन विभाग में इंजीनियर थे। वे लंबे अरसे तक नगर निगम भोपाल में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ रहे। भोपाल नगर निगम में ही जैन प्रमोट होते-होते एसई (अधीक्षण यंत्री) बन गए। लगभग डेढ़ साल नगर निगम से रिटायर होने के बाद वे नगर निगम के ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में संविदा आधार पर अधीक्षण यंत्री के पद पर काम करने लगे।

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