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भोपाल। राजधानी भोपाल के केरवा डैम से मंगलवार को एक बड़ा हादसा टल गया। डैम के गेट नंबर 8 के ऊपर बना सीमेंट कंक्रीट का स्लैब अचानक गिर गया। घटना के वक्त डैम पर मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई, हालांकि गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। हादसे के बाद सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने डैम पर आवाजाही रोक दी है।
जानकारी के अनुसार, मंगलवार की दोपहर यह हादसा हुआ। केरवा डैम के ऊपर बना यह स्लैब काफी पुराना था और लंबे समय से कमजोर बताया जा रहा था। गेट नंबर 8 के ऊपर बना यह हिस्सा अचानक भरभराकर नीचे गिर पड़ा। हादसे के बाद आसपास के ग्रामीणों और आगंतुकों में हड़कंप मच गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे के कुछ मिनट पहले तक लोग इसी ब्रिज से गुजर रहे थे। अगर स्लैब कुछ देर बाद गिरता, तो बड़ी जनहानि हो सकती थी।
घटना के चश्मदीद आसिफ खान ने बताया कि चह ब्रिज के ऊपर से गुजर रहा था। कुछ ही दूर पहुंचा था कि पीछे से अचानक एक जोरदार आवाज आई। मुड़कर देखा तो स्लैब भरभराकर नीचे गिर गया। अगर हम कुछ देर और रुक जाते तो हादसे में हमारी जान जा सकती थी। आसिफ ने बताया कि इस पुल से आसपास के गांवों के लोग रोजाना आते-जाते हैं और कई बार यहां भीड़ भी रहती है। बारिश के दिनों में हजारों लोग डैम घूमने पहुंचते हैं।
केरवा डैम भोपाल का एक ऐतिहासिक जलस्रोत है। इसका निर्माण साल 1975 में पत्थर की चुनाई से किया गया था। यह डैम भदभदा डैम से भी पुराना है, जो 1965 में तैयार हुआ था। केरवा डैम से भोपाल के कोलार इलाके में पानी की सप्लाई की जाती है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डैम के एक स्पान में आंशिक क्षति हुई है। संरचना को कोई बड़ा खतरा नहीं है। तकनीकी टीम स्थिति का जायजा ले रही है।
डैम का स्लैब गिरने के बाद वाहनों और पैदल आवाजाही को रोक दिया गया है। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हादसे के कुछ घंटे बाद भी लोग यहां से गुजरते रहे, और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नहीं की गई। सुबह जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे, लेकिन कुछ देर बाद वहां कोई मौजूद नहीं था।
जानकारी के अनुसार, इस बार मानसून में केरवा डैम पूरा नहीं भरा गया। जबकि भदभदा, कोलार और कलियासोत डैम के गेट कई बार खोले गए। केरवा डैम के गेट अब तक बंद ही रहे हैं। डैम के स्लैब टूटने से यह स्पष्ट है कि संरचना को तुरंत मरम्मत और तकनीकी जांच की जरूरत है।
डैम पर वाहनों के आवागमन पर पहले से ही रोक थी। बूम बैरियर लगाए गए थे ताकि कोई चारपहिया वाहन न जा सके। फिर भी स्थानीय ग्रामीण और पर्यटक दोपहिया वाहनों से ब्रिज पार करते रहे। अब स्लैब टूटने के बाद यह रास्ता पूरी तरह बंद कर दिया गया है।