vikrant gupta
8 Oct 2025
पल्लवी वाघेला, भोपाल। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां मप्र के टैलेंट ने अपना परचम न फहराया हो। ताजा उदाहरण है नेशनल अवॉर्ड जिसमें इस बार मप्र का खासा दखल रहा है। यहां मप्र से जुड़ी तीन फिल्में अपनी अलग विषय वस्तु और ट्रीटमेंट के चलते खासी चर्चा में रही और प्रतिष्ठित नेशनल अवॉर्ड भी अपने नाम किया। यह तीन फिल्में हैं हास्य व्यंग्य शैली की 'कटहल', गंभीर मुद्दे को उठाती 'द केरला स्टोरी' और युवाओं को प्रेरित करती '12वीं फेल'।
विधु विनोद चोपड़ा की यह फिल्म मप्र के ग्वालियर में जन्में और वर्तमान में इंदौर में जीएसटी डिप्टी कमिश्नर अनुराग पाठक के इसी नाम के नॉवेल पर आधारित है। यह मप्र के मुरैना में जन्में आईपीएस मनोज शर्मा की वास्तविक कहानी है और फिल्म की शुरूआत मुरैना की पृष्ठभूमि से ही होती है।
यह कहानी एक सकारात्मक सोच के साथ लिखी थी और परिणाम भी सकारात्मक ही रहे हैं। सभी की मेहनत पाठक और दर्शकों तक पहुंची, यह सुखद अनुभूति है7
अनुराग पाठक, राइटर
नेटफ्लिक्स के लिए तैयार फिल्म कटहल के राइटर अशोक मिश्रा और डायरेक्टर यशोवर्धन मिश्रा की पिता-पुत्र की जोड़ी सतना से है। अशोक मिश्रा जहां इसके पहले वेल डन अब्बा, बवंडर, वेलकम टू सज्जनपुर जैसी फिल्मों में लेखनी का कमाल दिखा चुके हैं, वहीं यशोवर्धन की यह निर्देशक के तौर पर डेब्यू मूवी है। यशोवर्धन इसे बड़ी उपलब्धि मानते हुए कहते हैं- जब भोपाल के प्रसिद्ध व्यंग्यकार पद्मश्री ज्ञान चतुर्वेदी जी ने कहा था कि यह हिंदी की पहली व्यंग्य फिल्म है तो खुशी हुई थी। इस अवॉर्ड ने साबित कर दिया कि हम जो कहना चाहते थे लोगों तक पहुंचा है।
मप्र के लोगों की हिंदी और उर्दू दोनों ही अच्छी है और साहित्यिक बैकग्राउंड से मंझकर निखरी प्रतिभा का फायदा भी मिलता है। इस फिल्म में हमने बुंदेली का इस्तेमाल किया है और फिल्म की शूटिंग भी ग्वालियर और आस-पास ही हुई है। खुशी है सभी को यह पसंद आई।
अशोक मिश्रा, राइटर
ट्रेलर आने के बाद से ही विवादों में रही केरला स्टोरी ने बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ने के बाद अब नेशनल अवॉर्ड भी अपने नाम किए हैं। जब डायरेक्टर इस फिल्म को लिखने राइटर की खोज में थे तो सभी ने विषय के चलते मना कर दिया। ऐसे में मप्र के धार के रहने वाले सूर्यपाल सिंह ने इसे लिखा।
फिल्म को यह दोनों अवार्ड इसलिए मिले कि डायरेक्टर सुदीप्तो सेन ने इस तरह के रिस्की सब्जेक्ट पर अपनी बात को सामने लाने का साहस किया। वहीं, कोरोना के चलते भारत के कारगिल में विषय परिस्थिति और कम संसाधन में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान वाला हिस्सा शूट किया गया और वह भी इतना बेहतर तरीके से। यह फिल्म एक जुएं की ही तरह थी। जहां तक विवाद की बात है, तो वही लोग विरोध कर रहे हैं जिन्होंने अब तक फिल्म देखी नहीं है। सूर्यपाल सिंह, राइटर
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फिल्म पर्यटन नीति-2020 लागू होने के बाद से राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश को एक नई पहचान मिली है। इंदौर, ग्वालियर, चंदेरी, महेश्वर, जबलपुर, भोपाल और इसके आसपास शूट होने वाली कुछ प्रमुख फिल्मों में स्त्री, भुज द प्राइड ऑफ इंडिया, लापता लेडीज, मोहनजो-दाडो, सुई धागा, शेरनी, दुर्गावती, भूल-भुलैया 3, धड़क 2 जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं। वहीं वेब सीरीज की बात करें तो महारानी, पंचायत, कोटा फैक्ट्री, गुल्लक, गुटरगूं, ये काली-काली आंखें, स्वाइप क्राइम सहित लंबी लिस्ट मौजूद है। आने वाले दिनों इनमें से कुछ वेबसीरीज के नए सीजन के साथ ही कुछ फिल्मों की शूटिंग का शेड्यूल भी तय है।