Naresh Bhagoria
1 Dec 2025
प्रभा उपाध्याय/ पीपुल्स टीम, इंदौर। मप्र में एचआईवी संक्रमण का दायरा लगातार बढ़ रहा है। पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में संक्रमित मरीजों की संख्या न सिर्फ बढ़ी है, बल्कि जांचों में सामने आने वाले नए मामलों की रफ्तार भी चिंता बढ़ाने वाली है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल करीब 6 फीसदी एचआईवी संक्रमित केस बढ़े हैं। मप्र के अन्य शहरों की बात करें तो इंदौर में इस साल अक्टूबर तक 519 मरीज आएं हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 598 था। इसी तरह ग्वालियर में इस वर्ष अक्टूबर तक 432 नए मरीज आए हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 468 था। वहीं भोपाल में इस साल 642 मामले दर्ज हुए जो अन्य शहरों की अपेक्षा अधिक हैं।

सबसे बड़ा कारण है जागरुकता की कमी, जिसके चलते लोग सुरक्षित यौन व्यवहार नहीं अपना पाते। कई लोग संक्रमण के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर जांच नहीं कराते, जिससे बीमारी पकड़ में नहीं आती है। हाई-रिस्क समूहों में नियमित जांच का अभाव भी संक्रमण बढ़ाता है। प्रवास, नशे की आदतें और संक्रमित सुइयों का इस्तेमाल भी मामलों को बढ़ाते हैं। समाज में एचआईवी से जुड़े डर और सोशल स्टिग्मा के कारण लोग खुलकर इलाज व परामर्श नहीं ले पाते, जिससे संक्रमण फैलता जाता है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण के जिला नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र जैन ने कहा कि नशे की लत और जागरूकता की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। वहीं, युवा वर्ग में असुरक्षित यौन संबंध और नियमित जांच न कराना भी संक्रमण बढ़ने का एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
आंकड़ों के अनुसार एचआईवी पॉजिटिव पाए गए मामलों का अनुपात सामान्य मरीजों में अधिक रहा, जबकि गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की दर अपेक्षाकृत कम और स्थिर बनी रही। विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं में कम दर का मुख्य कारण प्रसवपूर्व जांच में स्क्रीनिंग का अनिवार्य होना और मदर-टू-चाइल्ड ट्रांसमिशन रोकथाम कार्यक्रमों का प्रभावी संचालन है। वहीं ART (एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी) पंजीकरण के आंकड़े भी लगभग स्थिर रहे।