इंदौर -- प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर अब विदेशी ड्रग तस्करों की पहली पसंद बन चुकी है। दो दिन पहले पकड़ी गई अफ्रीकी युवती ने शहर में मौजूद अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क की तरफ सीधा इशारा किया है। उसकी गिरफ्त के बाद आईबी, एनसीबी और डीआरआई जैसी शीर्ष एजेंसियां हरकत में आ गईं और लगातार कई घंटों तक पूछताछ चली, लेकिन युवती लगातार जांच टीमों को गुमराह करती रही। सूत्रों के मुताबिक, मुंबई के नालासोपारा में रहने वाली यह अफ्रीकन महिला कई अहम जानकारियाँ छिपा रही थी और अभी तक सिर्फ नारकोटिक्स विंग को ही कुछ सीमित जानकारी दे पाई है। इससे पता चलता है कि तस्करी के इस पूरे रैकेट में कई परतें हैं, जिन्हें वह बचाने की कोशिश कर रही है।
गिरफ्तार युवती लिंडा, कोटे द'आईवोर से वर्ष 2023 में स्टूडेंट वीज़ा पर भारत आई थी। इंदौर में पकड़े जाने से पहले वह मुंबई के नालासोपारा में रहने का दावा कर रही है। गुरुवार को सीपी, आईबी और डीआरआई की संयुक्त टीम ने उससे लंबी पूछताछ की। पूछताछ में लिंडा ने बताया कि एक युवक उसे पार्सल देकर जाता था और उससे उसकी पहचान फेसबुक के माध्यम से हुई थी। लेकिन यह भी साफ है कि लिंडा गिरफ्तारी से पहले ही अपने मोबाइल का पूरा डेटा डिलीट कर चुकी थी, जिससे उसके नेटवर्क, संपर्क और लेन-देन की सूचनाएँ मिट गईं।
सदर बाजार, बाणगंगा, भागीरथपुरा, चंदन नगर, एमआईजी, खजराना और आजाद नगर—इन इलाकों के युवाओं को पैडलर्स सबसे ज्यादा टारगेट कर रहे हैं। शुरुआत में कम दाम में ड्रग देकर उन्हें जाल में फंसाया जाता है और लत लगने के बाद तीन से चार गुना दाम में वही पुड़िया बेचकर उनकी जेब और जिंदगी दोनों लूट ली जाती हैं।
राजस्थान, बिहार, मणिपुर और नेपाल… चार दिशाओं से इंदौर में घुस रहा जहर
अफ्रीका से स्टूडेंट वीज़ा पर भारत आई लिंडा अनाबा इंदौर में कोकीन का बड़ा रैकेट चलाती पकड़ी गई। पढ़ाई की आड़ में वह शहरभर में हाई-एंड ग्राहकों तक कोकीन सप्लाई कर रही थी। नारकोटिक्स पुलिस ने उसे हाल ही में दबोचकर इस अंतरराष्ट्रीय ड्रग चैनल का पहला सिरा पकड़ा।
अगला नंबर आया कुख्यात तस्कर शुभम उर्फ नेपाली का, जो लंबे समय से ब्राउन शुगर तस्करी में फरार चल रहा था। ‘नेपाली’ को ड्रग्स कार्टेल का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। पुलिस के मुताबिक वह कई केसों में वांछित था और लगातार राज्य बदलकर छिप रहा था।
मध्य प्रदेश का मोस्ट वांटेड ड्रग तस्कर वसीम उर्फ बाबा आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसके साथ दो साथी भी पकड़े गए और उनके कब्जे से करीब 1 करोड़ रुपये की एमडी (मेफेड्रोन) बरामद हुई। बाबा पर पहले से ही कई मामले दर्ज थे और वह लंबे समय से पुलिस को चुनौती देता फिर रहा था।
पारस और रिंकू उर्फ रूपेश को पुलिस ने उस वक्त दबोचा, जब वे राजस्थान से इंदौर होते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली की तरफ 50 लाख से अधिक की एमडी ड्रग्स ले जा रहे थे। पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये दोनों देशभर में MD की सप्लाई चेन के अहम कड़ी थे।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN) की कार्रवाई में सुदीप कुमार पकड़ा गया, जिसे लंबे समय से मादक पदार्थों की तस्करी का बड़ा मास्टरमाइंड माना जाता था। यह गिरफ्तारी पूरे नेटवर्क में बड़ी सेंध मानी जा रही है।
नारकोटिक्स विंग ने मुस्ताक को उज्जैन से 5 करोड़ से ज्यादा के अल्प्राजोलम पाउडर के साथ पकड़ा, जबकि राधेश्याम को एमडी के साथ गिरफ़्तार किया गया। जांच में दोनों के तार राजस्थान के प्रतापगढ़ में चल रहे बड़े ड्रग सिंडिकेट से जुड़े पाए गए।
इन लगातार होती गिरफ्तारियों ने साफ कर दिया है कि इंदौर सिर्फ टारगेट नहीं, बल्कि देशभर के ड्रग कार्टेल का एक्टिव हब बन चुका था। पुलिस की सख्त कार्रवाई ने इस नेटवर्क को हिलाया जरूर है, लेकिन यह लड़ाई लंबी है और हर गिरफ़्तारी के पीछे नया नाम सामने आ रहा है।