Mithilesh Yadav
20 Nov 2025
इंफाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को एक बैठक को संबोधित किया। वे तीन दिनी यात्रा पर मणिपुर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि RSS जैसा कोई संगठन नहीं है, जैसे समुद्र, आसमान या महासागर की कोई तुलना नहीं। उन्होंने कहा कि संघ अपने लिए गौरव नहीं चाहता, बल्कि देश के लिए काम करता है। संघ की वृद्धि स्वाभाविक है। इसे समझना है तो शाखा में जाना चाहिए। हमारा उद्देश्य पूरे हिंदू समाज को संगठित करना है। हमारा लक्ष्य सत्ता बनाना नहीं है। भागवत ने मणिपुरी संस्कृति, वहां की स्थानीय भाषा, परंपराएं और पोशाक की भी सराहना की और कहा कि इन्हें और मजबूत करने की जरूरत है। मणिपुर की वर्तमान स्थिति पर उन्होंने कहा कि शांति बहाल करने के प्रयास समाज और समुदाय स्तर पर चल रहे हैं। विनाश मिनटों में होता है, लेकिन निर्माण वर्षों लेता है। वह भी तब, जब सबको साथ लेकर चलना हो। शांति के लिए धैर्य, सहयोग और अनुशासन जरूरी है।
डॉ. भागवत ने कहा कि आरएसएस के खिलाफ गलत सूचनाएं 1932–33 से ही चल रही हैं, खासकर विदेशों में मौजूद ऐसे समूहों से जो भारत की सभ्यता को सही से नहीं समझते। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि संगठन को प्रचार के आधार पर नहीं, सच के आधार पर समझें। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ में हिंदू शब्द धार्मिक नहीं बल्कि सभ्यतागत अर्थ में प्रयोग होता है। उन्होंने कहा कि हिंदू कोई संज्ञा नहीं बल्कि विशेषण है। उन्होंने बताया कि राष्ट्र की ताकत सिर्फ नेतृत्व में नहीं, समाज की गुणवत्ता और एकता में होती है। उन्होंने वेदों की पंक्ति 'एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति' का उल्लेख करते हुए कहा कि सत्य, करुणा, पवित्रता और तप ही धर्म का सार हैं और यही हिंदू सभ्यता की समावेशी प्रकृति को दिखाते हैं।
समाज की मजबूती पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि कमजोर की बात कोई नहीं सुनता। जब समाज मजबूत होता है, तब दुनिया सुनती है। संघ का काम है योग्य और जिम्मेदार व्यक्तियों को तैयार करना।