Shivani Gupta
11 Sep 2025
इंदौर - अगस्त 2017 में उजागर हुए 42 करोड़ के आबकारी घोटाले में विभाग 22 करोड़ ही वसूल पाया, 20 करोड़ रुपए लगभग डूब।अफसरों पर कार्रवाई के लिए विभाग ने जांच के आदेश दिए लेकिन सालो से सिर्फ जांच ही चल रही है। घोटाले में पुलिस ने दो आबकारी अधिकारियों को आरोपी नहीं बनाया, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। 3 अफसरों के ठिकानों पर ईडी ने सर्चिंग कर ली है और शेष की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। अधिकारी भी आरोपी बन सकते हैं।
शराब दुकानों का ठेका लेने वालों ने फर्जी चालान से करोड़ों का घोटाला किया था। आबकारी विभाग को नियमानुसार ठेकेदारों के चालान की हर में जांच करना होती है लेकिन अफसरों ने इसमें लापरवाही की। अफसरों ने सालो से जांच नहीं की, जिसके कारण फर्जी चालान का खेल पता नहीं चला। रावजी बाजार पुलिस ने अगस्त 2017 में आबकारी घोटाले में ठेकेदार व कर्मचारियों पर केस दर्ज किया था। फर्जी रसीदों के जरिए घोटाला किया गया था। बाद में शासन ने तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, डीएस सिसोदिया, एसएन पाठक, एसआइ कौशल्या, धनराज सिंह व अनमोल को सस्पेंड किया था। अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को करीब 72 करोड़ का नुकसान हुआ।शासन करीब 21 करोड़ की ही वसूली कर पाया है।
ईडी ने जांच शुरू-
रावजी बाजार थाने में दर्ज केस के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की है। पहले कुछ ठेकेदारों के ठिकानों पर सर्चिंग हुई थी। पिछले सप्ताह ईडी की टीम ने इंदौर में पदस्थ रहे आबकारी अधिकारी दांगी के मंदसौर स्थित ठिकाने पर सर्चिंग की। आगर मालवा में आरपी द्विवेदी और इंदौर में एसएन पाठक के ठिकानों पर भी जांच हो चुकी है। करीब 5 लाख रुपए के साथ कई दस्तावेज जब्त किए गए। घोटाले को लेकर पहली बार आबकारी अधिकारियों तक ईडी की टीम पहुंची है। इस केस के समय इंदौर में पदस्थ रहे कई आबकारी अधिकारी अन्य जिलों में मुख्य भूमिका में है। उनकी जांच की जा रही है। घोटाले के दौरान कई अफसर इंदौर में पदस्थ रहे, लेकिन जांच में उन्हें शामिल नहीं किया गया। बाद में इनका ट्रांसफर दूसरे जिलों में कर दिया गया था। अब कई अधिकारी वापस इंदौर आ गए हैं और यहां मुख्य भूमिका में हैं।