Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
अशोक गौतम
भोपाल। भोपाल के सिरीन नदी पर बने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता पांच एमएलडी (मिलियन लीटर्स पर डे) की है, लेकिन इसमें प्रतिदिन 18 एमएलडी सीवेज आ रहा है। इसी तरह से सीहोर शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 10 एमएलडी की है, इसमें 15 एमएलडी सीवेज रोज जा रहा है। नतीजतन क्षमता से अधिक सीवेज नालों के माध्यम से वाटर बॉडीज में चला जाता है। यह समस्या पूरे प्रदेश की है। वर्तमान में 1,400 एमएलडी सीवेज वाटर ट्रीटमेंट क्षमता के संयंत्र चालू हालत में हैं। 1,700 एलएलडी के संयंत्र निर्माणाधीन हैं। प्रदेश में 33 बड़े शहरों में 3,500 एमएलडी सीवेज निकलता है। इसे शुद्ध करने की बहुत बेहतर व्यवस्था नहीं है। सात सालों से बनाए जा रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों में इस समय सिर्फ 45% ही चालू हालत में हैं। इन्हें संचालित करने में निकायों को भारी भरकम बिजली बिल का भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा संयंत्रों में क्षमता से कई गुना ज्यादा सीवेज का फ्लो हो रहा है। इससे ओवर फ्लो सीवरेज नदियों, नालों और खेतों में बह रहा है।
इंदौर शहर का सीवेज कान्ह नदी के जरिए क्षिप्रा में जाने से रोकने के लिए सरकार ने दो हजार करोड़ रुपए की योजना बनाई है। इस पर नगर निगम और जल संसाधन विभाग ने काम भी शुरू कर दिया है। जल संसाधन विभाग कान्ह से क्षिप्रा तक 15 करोड़ रुपए की एक टनल बना रहा है, जिसके जरिए पानी को एक डैम में भेजा जाएगा। डैम के इस पानी को किसानों को सिंचाई के लिए दिया जाएगा।
भोपाल की झीलें, डैम और नदियों में 244 एमएलडी सीवेज मिलता है। इस सीवेज की वजह से वाटर बॉडीज के अलावा अब ग्राउंड वाटर भी दूषित हो रहा है। नगर निगम के मुताबिक रोजाना 300 एमएलडी सीवेज डिस्चार्ज होता है। इसके ट्रीटमेंट के लिए 7 प्लांट लगाए गए हैं, जिनकी क्षमता 80 एमएलडी है। यही वजह कि छोटा तालाब, मोतिया तालाब, मुंशी हुसैन खां तालाब और नवाब सिद्दीक हसन खां तालाब सीवेज पौंड बन चुके हैं।
-सभी निकायों का सीवेज 100 प्रतिशत ट्रीटकर उपयोग करने का लक्ष्य तय किया गया है।
-नर्मदा के किनारे बसे 12 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम पांच वर्ष से चल रहा है।
-मिनी स्मार्ट सिटी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम अगले साल पूरा हो जाएगा।
-मैहर, चित्रकूट, अमरकंटक, रतलाम, चांदिया, गंजबसौदा, सिंगरौली, दतिया, ओरछा, पन्ना, मुगांवली, गुना और सीधी में मिनी स्मार्ट सिटी का कार्य किया जा रहा है।
भोपाल में देवकी नगर के रहवासी जगमोहन सिंह बताते हैं कि सीवेज का पानी घर के पास से निकलने वाले नालों में बहता है। इससे पूरे इलाके में बदबू आती है। बारिश के बाद सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। इसकी बहुत बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
डिमांड के अनुसार निकायों से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की जानकारी आती है। निकाय डीपीआर बनाकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेजते हैं। यहां से निर्माण राशि जारी की जाती है। निर्माण की मॉनिटरिंग निकाय स्तर पर की जाती है।
प्रदीप के मिश्रा, ईएनसी, नगरीय विकास एवं आवास विभाग