Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
प्रभा उपाध्याय, इंदौर। कभी पब और डिस्को में संगीत की धुन पर थिरकना उनके रूटीन में था, लेकिन आज उनका रुझान अध्यात्म की ओर हो रहा है। हम बात कर रहे हैं, उन युवाओं की जो चकाचौंध भरी जिंदगी छोड़कर अब राम और कृष्ण में रम गए हैं। युवाओं का ये गु्रप टोली बनाकर जगह-जगह भजन-कीर्तन करता है। इन युवाओं ने ग्रुप का नाम कृष्ण सखा ग्रुप रखा है। 10 से 12 युवाओं से शुरू हुए इस ग्रुप में करीब डेढ़ से दो हजार युवा जुड़ गए हैं।
यश सेन ने बताया कि 2023 से पहले मैं दोस्तों के साथ दिनभर घूमता था और रात में पब जाता था। सिर्फ परीक्षा के दौरान ही पढ़ाई करता था। एक दिन मैं परिवार के साथ इस्कॉन मंदिर गया था। यहां यश दीक्षित को कीर्तन करते देखा मुझे अच्छा लगा। तीन-चार बार मंदिर में उससे मिला, हमने नंबर एक्सचेंज किए। इसके बाद यश दीक्षित ने हमें कीर्तन में बुलाना शुरू कर दिया। तभी से बुरी आदतें छूट गईं। अब कीर्तन और पढ़ाई सब समय पर होती है।
श्रेयांश ने कहा कि मैं इस ग्रुप से अभी छह महीने पहले ही जुड़ा हूं। इसके पहले की लाइफस्टाइल के बारे में सोचता हूं तो लगता है कि मैं किस रास्ते पर जा रहा था। देर रात तक पार्टी करना, स्मोकिंग, ड्रिंक और ड्रग्स लेना ये आदतें थीं। एक दिन दोस्तों के साथ इस्कॉन मंदिर आया, तो यहां मेरी मुलाकात इस ग्रुप से हुई। उन्होंने तीन-चार बार मुझे बुलाया। मुझे वहां अच्छा लगने लगा। संगीत का मैं शौकीन हूं तो प्रभु कीर्तन में और ज्यादा मजा आने लगा।
युवराज गुर्जर ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि बुरी आदतों को कभी छोड़ पाऊंगा। कभी इस गली तो कभी उस गली घूमना, कभी पब में पार्टी तो कभी कैफे में घंटों बैठे रहना, लेट नाइट घर वापस आना। साल 2024 का वो दिन याद है, जब इस्कॉन मंदिर में मैंगो फेस्टिवल के लिए भाई को बुलाया गया था लेकिन वह उस दिन था नहीं, तो मुझे ही जाना पड़ा। वहां जब गया और इस ग्रुप को देखा तो इससे जुड़ गया। तभी से यहां मन लग गया। कृष्ण सखा ग्रुप के संस्थापक यश दीक्षित बताते हैं कि हमने कोरोना काल में इसकी शुरुआत की थी। इस अभियान का उद्देश्य सनातन धर्म के मूल्यों को पुनर्जीवित करना और भटकी हुई युवा पीढ़ी को सही दिशा देना है। कई युवाओं ने नशे जैसी बुरी आदतों से दूरी बनाकर नई ऊर्जा पाई है।