पल्लवी वाघेला
भोपाल। धर्म, आध्यात्म और विज्ञान के बीच अनोखा संबंध होता है। इनके अंतर्सूत्र इस तरह एक दूसरे में गुथे होते हैं कि हम आसानी से नहीं समझ पाते। इस संबंध की पड़ताल की है डॉ. उदय शाह ने, जो आध्यात्मिक वैज्ञानिक के साथ-साथ चिकित्सा विज्ञान के गंभीर अध्येता भी हैं। उन्होंने आभा मंडल अनुसंधान में डॉक्टरेट हासिल की है। वर्तमान समय में धर्म, अध्यात्म और विज्ञान के संबंध और आवश्यकता पर पीपुल्स समाचार ने उनसे विस्तार से बातचीत की है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश...
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यूथ को आध्यात्म से जुड़ना जरूरी
अपने शोध के बारे में बताइए?
-मैंने आभा यानी औरा परिवर्तन पर अध्ययन किया है। 64,000 से ज्यादा औरा स्कैन करके किए गए मेरे शोध के अनुसार, हमारे शरीर के चारों ओर मौजूद विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग, हम समस्याओं का पता लगाने में कर सकते हैं। इससे बीमारियों, कर्म या आनुवंशिक समस्याओं के कारणों का पता लगाने में मदद मिलती है। साथ ही यह हमें अपनी फाइनेंशियल, रिलेशन और हैबिट्स संबंधी समस्याओं के कारणों को समझने में भी मदद करता है। अपनी शोध के दौरान सामने आई फाइंडिंग्स का उपयोग करके हमने स्पेशल मैथड्स तैयार किए हैं, जिनका उपयोग हम लोगों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में करते हैं।
युवा पीढ़ी को आध्यात्म से क्यों जुड़ना चाहिए?
लोग अधिकांश आध्यात्मिक क्रियाओं को धार्मिक क्रिया के रूप में देखते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। यूथ यह नहीं समझता है कि उन्हें खुद पर काम करना है। जब हम दंगे-फसाद या ऐसी कोई क्रियाएं करते हैं जिन्हें आज यूथ क्रांति का नाम दे रहा है तो वह खुद पर काम नहीं करते, दूसरों को काम पर लगा देते हैं। वह अपनी बाउंड्रीज को नहीं तोड़ते। मैं मानता हूं कि आज के यूथ को आध्यात्म से जुड़ना बेहद जरूरी है। हमारे बुजुर्ग धार्मिक क्रियाएं करते थे तो उसके अंत में उन्हें सेल्फ रियलाइजेशन होता था। यानी धार्मिक के बाद आध्यात्मिक क्रिया स्वत: हो जाती थी। अब यूथ ऐसा कुछ नहीं कर रहा है। इसके बदले वह अपनी रियल जिंदगी को रील में बदल रहा है। इसके लिए यूथ को ध्यान-साधना करना आवश्यक है ताकि वह वास्तविक जीवन में जिए।
यूथ में रिलेशनशिप क्यों नहीं टिक पा रही?
कैलिफोर्निया में हुई रिसर्च कहती है कि ब्रेन के दो हिस्से होते हैं लेफ्ट ब्रेन का 18 प्रतिशत माइंड होता है और राइट ब्रेन का 80 प्रतिशत माइंड होता है। रिलेशन राइट ब्रेन वाले होते हैं क्योंकि इससे भावनाएं जुड़ी होती हैं, लेकिन आज का यूथ रिलेशन में लॉजिक यानी लेफ्ट ब्रेन का इस्तेमाल करता है। गलत ब्रेन का इस्तेमाल करने से रिश्ते ज्यादा चल नहीं पाते। इससे बचने काफी सारे मेडिटेशन और आध्यात्मिक थैरेपी है जो काफी असरदार हैं।