Aakash Waghmare
17 Nov 2025
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर विवादों में आए अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक बनाए रखी है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) की जांच पर सवाल उठाए और उसके रवैये पर असंतोष जताया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने एसआईटी की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा, “आपको प्रोफेसर की नहीं, डिक्शनरी की जरूरत है।”
यह टिप्पणी प्रोफेसर की सोशल मीडिया पोस्ट की भाषा को लेकर जांच एजेंसी द्वारा की जा रही व्याख्या पर कटाक्ष के रूप में आई।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसआईटी की जांच का दायरा सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी दो एफआईआर तक सीमित रहेगा। कोर्ट ने यह साफ कहा कि जांच को किसी और दिशा में ले जाकर प्रोफेसर के व्यक्तिगत जीवन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या अन्य मामलों में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रोफेसर महमूदाबाद को अब दोबारा पूछताछ के लिए बुलाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह पहले ही जांच में सहयोग कर चुके हैं और उनके निजी गैजेट जैसे कि लैपटॉप और मोबाइल एसआईटी के पास पहले से हैं।
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि एसआईटी ने बिना स्पष्ट कारण बताए उनके क्लाइंट के लैपटॉप और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए हैं। इस पर कोर्ट ने भी नाराजगी जताई और कहा कि अगर जांच सिर्फ दो पोस्ट की भाषा पर केंद्रित है, तो प्रोफेसर के संपूर्ण डिजिटल जीवन की जांच करना न केवल अनुचित है बल्कि मौलिक अधिकारों का हनन भी हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को यह आदेश दिया कि जांच चार सप्ताह के भीतर पूरी की जाए और रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि प्रोफेसर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन वह उन मामलों या विषयों पर टिप्पणी न करें जो वर्तमान में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे से जुड़े हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिसों की पीठ ने यह भी पूछा कि एसआईटी जांच को किसी और दिशा में क्यों ले जा रही है, जबकि उसे केवल यह तय करना है कि प्रोफेसर के फेसबुक पोस्ट में ऐसा कुछ था क्या, जो भारतीय कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
कोर्ट ने कहा कि जांच का मकसद यह जानना है कि क्या ऑपरेशन सिंदूर पर की गई फेसबुक पोस्ट से किसी की धार्मिक भावना आहत हुई है या राष्ट्रविरोधी कुछ कहा गया है। लेकिन यदि जांच एजेंसी इससे हटकर दूसरे विषयों को उठाने लगेगी, तो यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ अन्याय होगा।