Shivani Gupta
24 Nov 2025
भोपाल। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में सोमवार से त्रि-स्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों की तीन दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका उद्घाटन किया। इस दौरान पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल और राज्य मंत्री राधा सिंह भी मौजूद रहे। कार्यशाला का उद्देश्य पंचायतों को अधिक अधिकारयुक्त और आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जिले और जनपद पंचायत के उपाध्यक्षों द्वारा किए जाने वाले स्कूल निरीक्षण अब औपचारिक नहीं बल्कि दर्ज और प्रभावी होंगे। निरीक्षण में बताई गई कमियों पर प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित होगी।
सीएम ने कहा- धीरे-धीरे सब होगा, जल्दबाजी की जरूरत नहीं। पहली बार ऐसा अवसर आया है जब प्रतिनिधि सीधे इस मंच पर अपने विचार रखेंगे। उन्होंने आशा जताई कि चर्चा के दौरान पंचायत व्यवस्था की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान निकलेगा।
मुख्यमंत्री ने भारतीय परंपरा, पंचायती राज और स्वशासन की अवधारणा पर बात करते हुए कहा कि भारत में प्राचीन काल से समाजिक इकाइयों को स्वशासन की स्वतंत्रता रही है। उन्होंने कहा- कानून बाद में आया, लेकिन सामाजिक नेतृत्व और निर्णय व्यवस्था पहले से थी।
सीएम ने भाषण के दौरान प्रकृति और मानव शरीर के संबंधों का उदाहरण देते हुए कहा कि चंद्रमा का प्रभाव जल पर होता है और मानव शरीर में 70% जल होने से मानसिक स्थिति पर उसका प्रभाव स्वाभाविक माना जाता है।
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि पंचायत मॉडल मूल रूप से समाज और सरकार की साझेदारी पर आधारित है। उन्होंने प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी और समन्वय के साथ काम करने की सलाह दी। अधिकार और कर्तव्य की बहस कई बार संघर्ष में बदल जाती है, इसे बदलना होगा।
यह कार्यशाला 26 नवंबर तक चलेगी।
कार्यक्रम में "जल गंगा संवर्धन अभियान" और "खेत तालाब योजना" में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों और जनपदों को सम्मानित किया गया।