Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में सोमवार को सात राज्यों की विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों की समिति की पहली बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, राजस्थान के स्पीकर वासुदेव देवनानी, हिमाचल प्रदेश के कुलदीप सिंह पठानिया, पश्चिम बंगाल के विमान बनर्जी, उड़ीसा की स्पीकर सुरमा पाढ़ी, सिक्किम विधानसभा के अध्यक्ष मिंगमा नोरबू शेरपा तथा इन राज्यों की विधानसभाओं के प्रमुख सचिव उपस्थित रहे।
मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि विधानसभा सत्रों के बीच विधायी, वित्तीय और प्रशासनिक मामलों में समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियां कार्यपालिका पर निगरानी रखती हैं और शासन को जवाबदेह बनाती हैं। उन्होंने बताया कि समिति प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हुए पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में एक संकल्प पारित किया गया था। इसी संकल्प के तहत यह समिति गठित की गई है, जिसकी पहली बैठक भोपाल में आयोजित हुई।
बैठक में मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि लोकतंत्र में संसद और विधानसभाएं केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। सत्रों में सभी विषयों पर गहराई से विचार संभव नहीं होता, इसलिए समितियों की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि लोकसभा में बजट का अध्ययन भी समितियां करती हैं। बजट सत्र के दौरान बजट को समितियों के पास भेजा जाता है, जहां पर उसका विश्लेषण कर सुझाव दिए जाते हैं। उसके बाद बजट परिमार्जित होकर संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
तोमर ने बताया कि मध्यप्रदेश में चार वित्तीय समितियों के साथ-साथ अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग की दो समितियां निर्वाचन के माध्यम से बनाई जाती हैं। शेष करीब 15-16 समितियों में अध्यक्ष के माध्यम से नामांकित सदस्य शामिल होते हैं। ये समितियां भ्रमण, निरीक्षण करती हैं और शासन से विमर्श कर आवश्यक कार्यवाही करती हैं। जिन विषयों पर सदन में निर्देश या प्रश्न पूछे जाते हैं, उन पर भी ये समितियां काम करती हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में आयोजित पीठासीन अधिकारियों की बैठक में छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर अनुभव साझा करने, चुनौतियों पर चर्चा करने और समाधान खोजने की दिशा में पहल की गई थी। यह बैठक उसी क्रम की अगली कड़ी है।
अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने आश्वासन दिया कि यह समिति सिर्फ एक बैठक तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि समय-समय पर नियमित बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों में राज्यों की विधानसभाओं के अनुभव, चुनौतियां और सफलताएं साझा की जाएंगी, ताकि एक सशक्त और उत्तरदायी विधायी प्रणाली का निर्माण हो सके।