Naresh Bhagoria
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इंदौर – शहर में एक ऐसा फर्जी एसीपी सामने आया है जिसने बांसुरी की मधुर धुनों में बेहद गंदी धोखाधड़ी की चाल छिपा रखी थी। महालक्ष्मी नगर निवासी भूषण तिवारी के अनुसार, कुछ दिन पहले उनकी पहचान कल्पेश बेलदार नामक व्यक्ति से हुई, जिसने खुद को NSA—राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी, प्रधानमंत्री कार्यालय का एसीपी बताकर भरोसा जीता। बांसुरी सीखाने के नाम पर दोस्ती की और फिर धोखाधड़ी की काली स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी।
धीरे-धीरे फर्जी अफसर कल्पेश बेलदार ने भूषण को मिलिट्री कैंटीन के नाम पर टाटा नेक्सॉन कम कीमत में दिलाने का लालच दिया। भूषण उसकी बातों में आ गया। इसके बाद इस ठग ने और बड़ा दांव खेलते हुए कहा कि उसे BMW कंपनी की बाइक दिलवा दो। भूषण इस पर भी तैयार हो गया। रेडिसन चौराहे स्थित BMW शोरूम से बाइक खरीदी गई, लेकिन खरीद के कुछ ही समय बाद कल्पेश बेलदार BMW बाइक लेकर “जलगांव जा रहा हूं” कहकर चंपत हो गया। हैरत की बात यह कि कल्पेश अपनी महाराष्ट्र नंबर की बाइक (MH 19 DT 7774) भूषण के ही घर पर खड़ी छोड़ गया। सभी कागज आज भी भूषण तिवारी के नाम पर हैं।
लीगल पेपर मांगे तो हुआ ड्रामा शुरू -
जब भूषण ने कल्पेश से बाइक के लीगल पेपर और उसकी पहचान से जुड़े दस्तावेज मांगे तो वह टालमटोल करने लगा। फिर नया ड्रामा शुरू हुआ—कल्पेश ने कहा कि बाइक उसके भाई आकाश कैलाश बेलदार को देनी है और एग्रीमेंट भी उसी के नाम पर बनेगा। भोले भूषण ने यह भी मान लिया और आकाश के कागज व्हाट्सऐप पर भेज दिए। इसी बीच भूषण को संदेह हुआ और उसने पूरा मामला थाने में रिपोर्ट कर दिया।
पीपुल्स संवाददाता से बातचीत में भूषण तिवारी ने बताया कि वे महालक्ष्मी नगर में म्यूजिक क्लास चलाते हैं। कुछ समय पहले उनकी पहचान ठग कैलाश बेलदार से बांसुरी सीखने के बहाने हुई थी। साल 2024 में कल्पेश ने मिलिट्री कैंटीन के माध्यम से टाटा नेक्सॉन दिलाने का झांसा दिया था। इसके बाद BMW बाइक दिलाने की बात कर भूषण को शोरूम ले गया, बाइक ली और जलगांव भाग गया। लेकिन असली झटका तो तब लगा जब शिकायत करने पर लसूडिया पुलिस ने खुद फरियादी पर ही दबाव बनाना शुरू कर दिया।
फरियादी भूषण के मुताबिक, लसूडिया थाना पुलिस के कुछ कर्मचारियों ने उन्हें साफ-साफ कहा कि “बाइक भूल जाओ, कल्पेश को दे दो, मामला यहीं खत्म करो।” वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने के बाद जब भूषण फिर थाने पहुंचे तो आरक्षक प्रदीप चौबे ने भी धमकी भरे लहजे में यही दोहराया। थाना प्रभारी ने भी किसी प्रकार की सुनवाई नहीं की। शहर में फर्जी अफसर बनकर घूम रहा यह गिरोह एक आम नागरिक को पहले दोस्ती फिर बांसुरी, फिर सरकारी नौकरी और सस्ती गाड़ियों का झांसा देकर लाखों का चूना लगा चुका है। अब देखना यह है कि पुलिस फरियादी को न्याय दिलाएगी या फिर यह मामला भी फर्जी एसीपी की धुन पर ही दबा दिया जाएगा।