Naresh Bhagoria
26 Nov 2025
जबलपुर। छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से 30 बच्चों की हुई मौत के बाद दवा डिस्ट्रिब्यूटर की दुकान सील होने और लाइसेन्स निरस्त होने को चुनौती देने वाली अपील हाईकोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी है। डिस्ट्रिब्यूटर की ओर से कहा गया कि उसने 600 बोतल ही खरीदी थी, जिसमें से 594 बोतल ही उसने बेची हैं। एक डिस्ट्रिब्यूटर के लिहाज से यह काफी कम मात्रा है। इस दलील को नकारते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा- इतनी कम मात्रा में बेची गर्इं बोतलों से सिर्फ 30 मौतें हुर्इं। यदि मात्रा ज्यादा होती, तो पता नहीं क्या होता। बेंच ने दो टूक कहा कि मेडिकल हिस्ट्री में यह सबसे चौंकाने वाला मामला है। ऐसे मामले में शामिल व्यक्ति के साथ न तो हम अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करेंगे और न ही हम कोई सहानुभूति दिखाएंगे।
जबलपुर के राजपाल कटारिया की ओर से दाखिल इस अपील में कहा गया था कि वो मे. कटारिया फार्मास्यूटिकल्स के नाम से दवाओं का थोक व्यापार कर रहा था। वह बेंगलुरु की सन फार्मा द्वारा बनाई गई कोल्ड्रिफ कफ सिरप की सप्लाई छिंदवाड़ा जिले में करता था। याचिका में आरोप था कि छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 30 मासूमों की मौत होने पर जबलपुर की ड्रग लाइसेन्सिंग अथॉरिटी ने 11 अक्टूबर को याचिकाकर्ता का लाइसेन्स निरस्त कर दिया। इस बारे में दाखिल याचिका 31 अक्टूबर 2025 को खारिज होने पर यह अपील दाखिल की गई थी।
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अनुभव जैन ने अपील पर आपत्ति जताई। सुनवाई के दौरान बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए मामले पर दखल से इनकार करके अपील खारिज कर दी। उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा में कफ सिरप के कारण 30 बच्चों की मौत हो गई थी। लगातार बच्चों की मौत होने के बाद मामला सामने आया था। इसके बाद देशभर में यह केस चर्चित हुआ था।