Aniruddh Singh
13 Sep 2025
मुंबई। तेरह साल पहले कविन भारती मित्तल द्वारा शुरू स्टार्टअप हाइक बंद होने जा रहा है। यह फैसला भारत सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए रियल मनी गेमिंग पर प्रतिबंध के बाद लिया गया है। हाइक ने एक समय मैसेंजर ऐप के रूप में देश में व्हाट्सऐप को टक्कर देने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में उसने मैसेजिंग सर्विस बंद कर मोबाइल गेमिंग व वेब3 तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया।
हाल के सालों में हाइक ने दो मुख्य प्रोडक्ट्स लॉन्च किए थे वाइब, जो एक अप्रूवल-ओनली कम्युनिटी ऐप था और रश, जो असली पैसे वाले गेमिंग ऐप के रूप में सामने आया था। लेकिन जब सरकार ने रियल मनी गेमिंग पर रोक लगा दी तो हाइक का मुख्य बिजनेस मॉडल ध्वस्त हो गया।
कविन मित्तल ने सबस्टैक पर अपने नोट में लिखा उनका अमेरिकी कारोबार तो मजबूत शुरुआत कर चुका था, लेकिन भारत में प्रतिबंध लगने के बाद अब ग्लोबल स्तर पर विस्तार के लिए भारी पूंजी और पूरी रणनीति बदलने की जरूरत होगी। मित्तल ने यह भी स्पष्ट किया कि इस सफर के दौरान जो अनुभव, सीख और रिश्ते बने हैं, वे उनके अगले अध्याय को मजबूती देंगे। उनका मानना है कि किसी कंपनी को बंद करना अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। हाइक का बंद होना केवल एक कंपनी की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए बड़ा झटका है।
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हाल ही में कई अन्य कंपनियां भी या तो कारोबार बंद कर रही हैं या नए रास्ते खोज रही हैं। जैसे एमपीएल (मोबाइल प्रीमियर लीग) ने भारत में पैसे वाले सभी गेमिंग ऑपरेशन रोक दिए हैं और अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर दी। विन्जों ने अमेरिकी बाजार में प्रवेश किया और भारत में रियल मनी गेमिंग कारोबार बंद कर माइक्रो-ड्रामा जैसे नए क्षेत्रों में कदम रखा। इसी तरह ड्रीम11, ज़ुपी और प्रोबो जैसी कंपनियों के बिडनेस मॉडल भी प्रभावित हुए हैं।
हाइक की यात्रा अपने आप में खास रही। कभी इसे भारत का व्हाट्सऐप कहा गया था और इसने एक समय 100 मिलियन से ज्यादा यूजर जुटा लिए थे। लेकिन व्हाट्सऐप जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों से मुकाबला आसान नहीं था, और 2021 में हाइक मैसेंजर बंद कर दिया गया।
इसके बाद हाइक ने दिशा बदली और गेमिंग तथा वेब3 में कदम रखा, लेकिन सरकार के नए नियमों ने इसे भी रोक दिया। इस कंपनी ने अपने सफर के दौरान टाइगर ग्लोबल, टेनसेंट और भारती एंटरप्राइजेज जैसे बड़े निवेशकों से करीब 261 मिलियन डॉलर जुटाए थे। इसके बावजूद, नियामकीय चुनौतियों और बाजार की परिस्थितियों ने कंपनी को अंततः दरवाजे बंद करने पर मजबूर कर दिया।
हाइक का बंद होना भारत के गेमिंग उद्योग में तेजी से बदलते माहौल और सख्त नियामकीय ढांचे को दर्शाता है। यह दिखाता है कि सिर्फ तकनीकी नवाचार ही नहीं, बल्कि सरकार की नीतियां और वैश्विक विस्तार की रणनीति भी किसी स्टार्टअप की सफलता या असफलता तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं।