Aniruddh Singh
13 Sep 2025
मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2025 में खुदरा महंगाई (सीपीआई) दर 2.07 प्रतिशत दर्ज की गई, जिससे अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को झटका लगा है। जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई 1.55 प्रतिशत के 98 महीने के निचले स्तर पर थी, लेकिन अगस्त में खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण यह दर बढ़ गई। रिपोर्ट के अनुसार जब महंगाई दर थोड़ी भी ऊपर जाती है, तो रिजर्व बैंक के लिए दरों में कटौती करना कठिन हो जाता है, क्योंकि उसे मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने की जिम्मेदारी भी निभानी होती है। एसबीआई रिसर्च ने यह भी कहा है कि केवल अक्टूबर ही नहीं बल्कि दिसंबर में भी ब्याज दरों में कटौती मुश्किल दिख रही है। इसका कारण है कि चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों के आर्थिक विकास के अनुमान उम्मीद से ज्यादा मजबूत हैं। जब अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही हो और महंगाई भी अपेक्षाकृत ऊंची हो, तब दरों में कमी करना जोखिमभरा माना जाता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि सरकार द्वारा हाल ही में की गई जीएसटी दरों में कटौती का असर महंगाई को नीचे लाने में मददगार हो सकता है। सेवाओं पर जीएसटी में बदलाव से गैर-खाद्य वस्तुओं की महंगाई में लगभग 40-45 आधार अंकों की कमी आ सकती है। इसके अलावा लगभग 295 आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत या शून्य कर दिया गया है। यदि इसका 60 प्रतिशत लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचता है तो वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई 25-30 आधार अंक और नीचे आ सकती है।
ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में महंगाई दर में वृद्धि देखी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई जुलाई के 1.18 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 1.69 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह जुलाई के 2.10 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त में 2.47 प्रतिशत हो गई। यह बढ़ोतरी आंशिक रूप से "बेस इफेक्ट" यानी पिछले साल के ऊंचे दामों से तुलना का प्रभाव खत्म होने की वजह से भी हुई है। अब कीमतों में वास्तविक बढ़ोतरी साफ तौर पर दिखाई देने लगी है।
देश के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 26 में अगस्त में महंगाई 4 प्रतिशत से कम रही। केवल केरल और लक्षद्वीप में महंगाई 6 प्रतिशत से ऊपर दर्ज की गई। खासकर केरल में महंगाई 9.04 प्रतिशत तक पहुंच गई, जिसका प्रमुख कारण नारियल तेल की कीमतों में तेज़ उछाल रहा। ग्रामीण केरल में तो महंगाई 10.05 प्रतिशत तक पहुंच गई जबकि शहरी इलाकों में यह 7.19 प्रतिशत रही। मौसम की स्थिति भी आने वाले महीनों में महंगाई पर असर डाल सकती है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे प्रमुख कृषि राज्यों में अगस्त और सितंबर की शुरुआत में सामान्य से 9 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। कई जगहों पर यह स्तर और भी अधिक रहा है।
अत्यधिक वर्षा फसल उत्पादन और खाद्य आपूर्ति पर असर डाल सकती है, जिससे आने वाले समय में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है। कुल मिलाकर एसबीआई रिसर्च का संदेश यह है कि अभी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम है। महंगाई भले ही ऐतिहासिक रूप से कम स्तर पर है, लेकिन यह लक्ष्य से ऊपर है और खाद्य कीमतों में अस्थिरता आगे भी बनी रह सकती है। साथ ही अर्थव्यवस्था की मजबूत वृद्धि दर को देखते हुए अक्टूबर या दिसंबर में दरों में कटौती करना मुश्किल होगा।