आंदोलन के नेताओं का कहना है कि उनका संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक आउटसोर्स और अस्थाई प्रथा का अंत नहीं हो जाता और अंशकालीन कर्मचारियों, पंचायत चौकीदारों को न्यूनतम वेतन नहीं दिलवाया जाता। आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी मोर्चा मप्र के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि भोपाल पहुंचकर हक की बात करना अब अपराध बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजधानी में सिर्फ नेताओं, विधायकों और मंत्रियों को ही अपनी बात रखने की स्वतंत्रता है, जबकि आम लोग अपनी समस्याओं के लिए आवाज उठाने पर गिरफ्तार हो जाते हैं।
वासुदेव शर्मा ने यह भी कहा कि कर्मचारियों के इस संघर्ष में कोई रुकावट नहीं आएगी और वे इसे लगातार जारी रखेंगे। उन्होंने घोषणा की कि 15 अप्रैल को जिला स्तर पर रैलियां और ज्ञापन दिए जाएंगे, जबकि 1 मई को संभागीय स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद कर्मचारी भोपाल में फिर से एक बड़े क्रांति आंदोलन का आयोजन करेंगे और सरकार से कहेंगे कि अब वे चुप बैठकर अन्याय सहने के लिए तैयार नहीं हैं।
कर्मचारी नेताओं और उनके समर्थकों ने जब जुलूस निकालने का प्रयास किया, तो पुलिस ने उन्हें व्यापमं चौराहे पर रोक लिया। मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मिलने की जिद पर पुलिस ने बल प्रयोग किया और वासुदेव शर्मा समेत 22 नेताओं को गिरफ्तार कर खजूरी थाने में बंद कर दिया।
कर्मचारी नेताओं ने कांग्रेस की मनोदशा पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि जब हजारों आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारी पीसीसी के सामने प्रदर्शन कर रहे थे, तब कांग्रेस ने कोई भी नेतृत्व नहीं किया और न ही पानी का कोई प्रबंध किया। उन्होंने कहा कि ऐसे में अब किस पर विश्वास किया जाए कि वह हमें संघर्ष में साथ देगा। ये भी पढ़ें- होली से पहले रेलवे ने चलाई 20 स्पेशल ट्रेन, भोपाल-इंदौर समेत कई स्टेशनों से गुजरेगी, यात्रियों की सुविधा के लिए कोच भी जोड़े