Naresh Bhagoria
21 Dec 2025
भोपाल। पूर्वजों की आत्मा की शांति और पुण्य स्मरण के लिए धार्मिक महत्व वाला पखवाड़ा पितृपक्ष रविवार से प्रारंभ हो गया है। इसे श्राद्ध पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। पहले दिन राजधानी भोपाल के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, जिन्होंने शीतलदास की बगिया, खटलापुरा, गिन्नौरी बगिया, रानी कमलापति घाट, कालीघाट सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर पितरों के तर्पण हेतु जल अर्पित किया।
इस अवसर पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। विशेष रूप से शीतलदास की बगिया घाट पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिली। सुरक्षा व्यवस्था के तहत गोताखोरों को भी तैनात किया गया ताकि किसी भी आपात स्थिति में मदद की जा सके। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि श्रद्धालु बिना किसी बाधा के विधिपूर्वक पितृ तर्पण कर सकें।
पितृपक्ष के पहले दिन के साथ ही चंद्रग्रहण भी हुआ। ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ हुआ। धार्मिक आचार्यों ने बताया कि इस दिन तर्पण का जल ग्रहण सूतक काल के पूर्व दिया जाना चाहिए। इसलिए सुबह के समय श्रद्धालुओं ने विशेष रूप से ध्यान दिया और दिन में 12 बजे से पहले पितरों को जल अर्पित किया। प्रातःकाल में दिया गया तर्पण अमृत, दूध और मधु के रूप में पुण्य प्रदान करता है।
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ हुआ पितृपक्ष 21 सितंबर को पितृमोक्ष अमावस्या के साथ संपन्न होगा। इस दौरान श्रद्धालु हर दिन पितरों के तर्पण के लिए घाटों पर जुटते रहेंगे। पहले दिन पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध विशेष महत्व रखता है। इस अवसर पर धार्मिक आयोजन और सामूहिक तर्पण की भी व्यवस्था की गई है।
