Manisha Dhanwani
21 Oct 2025
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के पांचवें दिन देश की राजनीति एक बार फिर गरमा गई जब विपक्षी दलों ने बिहार में वोटर वेरिफिकेशन को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेताओं की अगुवाई में विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर में मार्च निकाला और SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के खिलाफ विरोध जताया।
विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा से लेकर मकर द्वार तक पैदल मार्च किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के दोनों प्रमुख चेहरे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खुद शामिल हुए। उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी थे।
मार्च की समाप्ति पर नेताओं ने SIR के विरोध में लगे पोस्टर फाड़े और प्रतीकात्मक रूप से डस्टबिन में फेंक दिए। इस दौरान ‘मोदी सरकार हाय-हाय’ जैसे नारों की गूंज संसद परिसर में सुनाई दी। विरोध का यह तरीका विपक्ष की नाराजगी और जनता के मतदान अधिकार को लेकर उनकी चिंताओं को सामने लाता है।
इस प्रदर्शन की गूंज लोकसभा में भी सुनाई दी, जहां विपक्षी सांसदों की नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही महज 20 मिनट ही चल सकी। स्थिति को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी दलों की एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें 28 जुलाई से सदन को सुचारू रूप से चलाने पर सहमति बनी।
सर्वदलीय बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि 28 जुलाई से लोकसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाई जाएगी और इसी दिन ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की चर्चा भी निर्धारित की गई है। यह मुद्दा भी सरकार और विपक्ष के बीच बड़े टकराव का केंद्र बना हुआ है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “वे गरीबों को उनके मतदान अधिकार से वंचित करना चाहते हैं और सिर्फ अमीर वर्ग को वोट देने देना चाहते हैं। यह संविधान का उल्लंघन है और हम SIR के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”
भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने विपक्ष के इस व्यवहार को चिंताजनक बताया और कहा, “संसद में जो हुआ, वह लोकतंत्र की मर्यादाओं के खिलाफ है। स्पीकर ने विपक्ष से सदन की कार्यवाही में बाधा न डालने की अपील की थी।”
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर संसद को शांतिपूर्वक चलाने की अपील की।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब संसद में बहस और जवाबदेही की सबसे ज़रूरी घड़ी है, तब प्रधानमंत्री देश से बाहर हैं। यह उनके असंवेदनशील रवैये को दिखाता है।”