नई दिल्ली। देश में लड़कों को गोद लेने की पारंपरिक लालसा में बड़ा बदलाव आया है। पिछले दो साल में हिंदू अडॉप्शन और मेंटिनेंस एक्ट के तहत बच्चा गोद लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही देश में लड़कियों को गोद लेने की प्राथमिकता में उल्लेखनीय झुकाव देखा गया है। इसमें सबसे हैरानी की बात यह है कि पंजाब इस ट्रेंड (लड़कियों को गोद) में सबसे आगे दिख रहा है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के माध्यम से केंद्र सरकार की तरफ से पेश आंकड़े इस ट्रेंड को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। आंकड़ों के अनुसार 2021-2023 की अवधि में कुल 15,486 गोद लेने के केस दर्ज किए गए। इसके अनुसार कुल गोद लेने वालों में से, गोद लेने वाले माता-पिता ने 6,012 लड़कों मुकाबले 9,474 लड़कियों को घर ले जाना पसंद किया।
तेलंगाना में लड़के पसंद : तेलंगाना के हिंदू जोड़ों ने लड़कों को गोद लेना अधिक पसंद किया। यहां कुल 242 बच्चों को गोद लिया गया जिनमें से महज 48 लड़कियां थीं। पश्चिम बंगाल में कपल ने कुल 228 बच्चों को गोद लिया, जिनमें से 112 लड़कियां थीं।
गोद लिए गए बच्चों की पसंदीदा उम्र छह साल से कम रही, चाहे उनका लिंग कुछ भी हो। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी (कारा) के आंकड़ों से पता चलता है कि 69.4% रजिस्टर्ड भावी दत्तक माता-पिता (पीएपी) 0 से 2 वर्ष की आयु के बच्चों को चुनते हैं। 2 से 4 वर्ष के आयु वर्ग में 10.3% और 4 से 6 वर्ष के आयु वर्ग में 14.8% भावी माता-पिता ने रुचि दिखाई। पंजाब और चंडीगढ़ भारत में लैंगिक समानता की दिशा में आगे बढ़ने में अग्रणी बनकर उभरे हैं। आंकड़ों से लगता है कि गोद लेने में इन दोनों राज्यों में लड़कियों को प्राथमिकता दी जा रही है। राज्य में एचएएमए के तहत पंजीकृत कुल 7,496 गोद लेने वालों में से 4,966 लड़कियां और 2,530 लड़के थे। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में गोद लिए गए कुल 167 बच्चों में से 114 लड़कियां थीं।