इंदौर। शहर में किसी भी हादसे या संवेदनशील घटना पर आमतौर पर वरिष्ठ अधिकारी तुरंत सक्रिय हो जाते हैं और हालात का जायज़ा लेते हैं। लेकिन इस बार उनके अधीनस्थ अधिकारियों , एसीपी और एडिशनलडीसीपी की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
घटना स्थल की यह तस्वीर सब कुछ बयान कर रही है। सामने गोदाम में भीषण आग लगी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। रहवासी इंसानियत के नाते बचाव कार्य में जुटे हुए थे, लेकिन वहीं खड़े एसीपी निधि सक्सेना (राजेंद्र नगर) और एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा पूरी तरह बेपरवाह मुद्रा में दिखाई दिए। दोनों अधिकारी हादसे के बीच मस्ती के मूड में हंसी-मज़ाक करते नजर आए। लेकिन वही नजदीक खड़े कृष्ण लालचंदानी, डीसीपी जोन-1 गंभीर मुद्रा में थे। एक एक जवान को भी यह समझ थी कि वो बी हादसे वाली जगह बड़ा गंभीर था लेकिन एक जवान से यह दो अधिकारी कुछ सिख ले तो ठीक हैं। कुछ अधिकारी वर्दी के रुतबे में आँख मूँद कर कार्य कर रहे हैं। लेकिन उन्हे समझाने वाला कोई नहीं हैं।
यह तस्वीर केवल एक क्षण नहीं, बल्कि संवेदनशीलता की कमी का सबूत है। हादसे में जानें चली गईं और मातम पसरा था, मगर इनकी मुस्कुराहट ने पुलिस की गंभीरता और जिम्मेदारी दोनों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। वहीं, उनके पास खड़े डीसीपी कृष्णलाल चंदानी बिल्कुल गंभीर मुद्रा में नजर आए। उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि एक अधिकारी अपने कर्तव्य और स्थिति की गंभीरता को कैसे समझता है। एक तस्वीर, तीन चेहरे — और इंसानियत का असली चेहरा दिखाती कहानी।
जुलाई माह की एक घटना ने इंदौर पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। मृतक मजदूर के परिजन अपने परिवारजन की मौत के बाद ठेकेदार पर हत्या का आरोप लगाते हुए आजाद नगर थाने पहुंचे थे। परिजन दिनभर न्याय की गुहार लगाते रहे, लेकिन शाम तक पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे भी अधिक चौंकाने वाला आरोप यह था कि जिस ठेकेदार पर हत्या का शक था, उसे पुलिस ने थाने बुलाकर ‘चाय पिलाई’ और सबके सामने ही छोड़ दिया। जब इस मामले पर मीडियाकर्मियों ने सवाल किए, तो एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा आपा खो बैठे। उन्होंने कैमरे पर माइक आईडी पर हाथ मारते हुए कहा — “तुम्हारी औकात क्या है?”इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वायरल होते ही आलोक शर्मा को लोगों ने जमकर ट्रोल किया और पुलिस विभाग की छवि पर भी सवाल उठे।
यह पहला मौका नहीं है जब एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा की कार्यशैली विवादों में आई हो। इससे पहले भी वे कई मामलों में चर्चा में रह चुके हैं। एक प्रकरण में उन्होंने रिंग राउंड ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की गैरहाजिरी केवल इसलिए दर्ज कर दी थी, क्योंकि वे “अलग-अलग खड़े” थे। उनके इस निर्णय को स्टाफ ने “तुगलकी फरमान” करार दिया था। विभाग के भीतर भी इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई गई थी, और कई कर्मियों ने इसे अनुचित बताया था।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब गंभीर हालातों के बीच अफसरों का असंवेदनशील रवैया कैमरे में कैद हुआ हो। जुलाई 2024 में इंदौर के अनाथ आश्रम युगपुरुष धाम में पाँच मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की मौत के बाद जाँच करने पहुँचे तत्कालीन एसडीएम ओमप्रकाश बड़कुल भी विवादों में घिर गए थे।