Hemant Nagle
16 Nov 2025
इंदौर -- ग्रामीण इलाक़ों में पुलिस की ‘जादूगरी’ के किस्से पहले भी कम नहीं थे, मगर इस बार तो ग्रामीण पुलिस ने वह कारनामा कर दिखाया है जो बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्मों के विलेन भी नहीं कर पाए। अनिल कपूर की सुपरहिट फिल्म “मिस्टर इंडिया” में मोगैम्बो बने अमरीश पुरी पूरी फिल्म में मिस्टर इंडिया को नहीं पकड़ पाए, लेकिन ग्रामीण पुलिस ने तो मानो अदृश्य आदमी को भी गिरफ़्तार कर लिया हो।
मामला सांवेर थाना क्षेत्र का है, जहाँ दो मंदिरों में चोरी की घटना के बाद पुलिस ने अपने घर में सो रहे युवक को ही आरोपी बताते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। फरियादी ने इस कार्रवाई को मनगढ़ंत बताते हुए सीसीटीवी फुटेज के साथ वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की,। इधर आरोप यह भी लगे हैं कि सांवेर एसडीओपी ने मौखिक आदेशों के ज़रिये अपने ‘कमाऊ पूतों’ को मनचाही पोस्टिंग दिला रखी है। खुलासा फर्स्ट के पास इन आरक्षकों के नाम मौजूद होने की बात कही जा रही है, लेकिन हैरानी यह है कि यह जानकारी न तो एसपी, न डीआईजी और न ही आईजी तक पहुँच पा रही है। घर में सो रहे युवक को चोरी में फँसाने के विरोध में फरियादी अब कोर्ट की शरण ले चुका है और पूरा मामला ग्रामीण पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
रोहित पूरे दिन घर पर मौजूद-
फरियादी मनोहर बोरसी के अनुसार 29 अक्टूबर को सांवेर क्षेत्र के एक मंदिर में हुई चोरी का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने दो युवकों की गिरफ्तारी और चोरी का माल बरामद करने का दावा किया था। लेकिन जैसे ही गिरफ्तार युवक रोहित के परिजन सामने आए, पूरा मामला नया मोड़ लेता दिखा। मीडिया से बातचीत में परिजनों ने बताया कि रोहित पूरे दिन घर पर मौजूद था। उनका कहना है कि पुलिस अचानक घर पहुँची, उसे उठाकर थाने ले गई और मंदिर चोरी में झूठा फँसा दिया।
परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि असली मुख्य आरोपी को कथित लेन–देन और समझौते के चलते छोड़ दिया गया, जबकि निर्दोष रोहित को बलि का बकरा बनाकर जेल भेज दिया गया। परिवार ने ग्रामीण एसपी को भी शिकायत दी, जिसके बाद एसपी ने सांवेर थाना प्रभारी से तत्काल रिपोर्ट तलब की और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया।
रोहित के पिता ने मीडिया के सामने साफ कहा— “अगर बेटा दोषी है तो सजा मिले, लेकिन अगर निर्दोष है तो उसे प्रताड़ित न किया जाए और तुरंत छोड़ा जाए।”परिजनों ने मांग की है कि जांच सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल और मौके के वास्तविक तथ्यों के आधार पर की जाए, ताकि असली आरोपी सामने आ सके।इधर पुलिस का कहना है कि मामले की दोबारा जांच शुरू कर दी गई है।
फरियादी ने मीडिया के सामने एक कथित ऑडियो चलाया, जिसने पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े कर दिए। ऑडियो में फोन पर बात कर रहा व्यक्ति साफ कहता सुनाई देता है—“पाँच हज़ार रुपए देकर अनिकेत को छोड़ दिया गया।”वही आवाज़ फरियादियों को सलाह देती है—“लेन–देन कराकर अपने आदमी को छुड़वा लो।”लेकिन फरियादी बार-बार यही जवाब देता रहा—“जब चोरी ही नहीं की, तो पैसे किस बात के?”