Mithilesh Yadav
16 Sep 2025
शाहिद खान, भोपाल। राजधानी में एयर पॉल्यूशन कम करने की नगर निगम सारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। नतीजा स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में छठवें पायदान से आगे नहीं बढ़ पाया। इसकी सबसे बड़ी वजह शहर की सड़कों पर छाया धूल का गुबार रहा। लिहाजा अब निगम का फोकस सड़कों की धूल समेटने पर है। इसके लिए निगम एक-दो नहीं, बल्कि थोक में 21 रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदने की प्लानिंग कर रहा है। ताकि हर एक जोन में एक-एक रोड स्वीपिंग मशीन की तैनाती की जा सके। ये मशीनें जोन के तहत आने वाले वार्डों के मुख्य मार्गों सहित एप्रोच रोड्स की सफाई करेंगी।
बता दें कि वर्तमान में नगर निगम के पास टोटल 13 रोड स्वीपिंग मशीनें हैं। इनमें से 10 मशीनें काम कर रही हैं, जबकि तीन मशीनें अब कंडम हालत में पहुचं चुकी हैं। अब जरूरत एप्रोच रोड्स से धूल साफ करने की है। इसलिए नगर निगम ने प्लानिंग की है कि अब हर जोन में एक-एक रोड स्वीपिंग मशीन को तैनात किया जाएगा, ताकि मेन रोड्स के साथ ही एप्रोच रोड्स के सेंट्रल और साइड वर्ज के किनारों पर जमा मिट्टी को समेटा जा सके। यही मिट्टी सबसे ज्यादा एयर पॉल्यूशन की वजह बन रही है।
नगर निगम भोपाल के अफसरों के मुताबिक इलेक्ट्रिक अत्याधुनिक रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी जानी हैं। एक मशीन की औसत कीमत 65 लाख रुपए के करीब है। इस कीमत पर अगर नगर निगम 21 रोड स्वीपिंग मशीनों की खरीदी करता है, तो उसे 13 करोड़ 65 लाख रुपए से ज्यादा की रकम खर्च करनी होगी।
गौरतलब है कि नगर निगम जहां 21 रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदने की प्लानिंग कर रहा है। वहीं, पिछले साल अप्रैल में पांच करोड़ रुपए खर्च कर 6 रोड स्वीपिंग मशीनों की खरीदी की थी। जानकारी के मुताबिक ये मशीनें जल्द ही आएंगी।
हालांकि, निगम को रकम की कोई टेंशन नहीं है। उसे सालाना केंद्र सरकार से एयर पॉल्यूशन कंट्रोल करने करोड़ों की ग्रांट मिलती है। सूत्रों के मुताबिक भोपाल की हवा साफ करने के लिए केंद्र से नगर निगम को पिछले 6 साल में 242.56 करोड़ रुपए की ग्रांट मिल चुकी है। इसमें से 195.01 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन हवा में सुधार नहीं हुआ। बल्कि बीते पांच सालों की तुलना में पीएम लेवल भी बिगड़ गया।
शहर में विभिन्न एजेंसियों की 3800 किमी सड़कें हैं। इनमें से करीब 800 किलोमीटर मुख्य मार्ग है। इनमें रोड स्वीपिंग मशीनों से झाड़ू लगाया जाना चाहिए, लेकिन 10 मशीनें रोजाना प्रति मशीन 20 किमी सड़क के हिसाब से 200 किमी सड़कों से धूल समेट रही हैं। यह काम भी जमीनी कम कागजों पर ज्यादा हो रहा है। हालांकि वीआईपी क्षेत्रों जैसे लिंक रोड नंबर एक, दो और तीन, चार इमली, अरेरा कॉलोनी, शिवाजी नगर, नर्मदापुरम रोड सहित एयरपोर्ट रोड पर ही यह मशीनें चलती देखी जा सकती हैं। कोलार सिक्सलेन पर भी कभी-कभी मशीने दिखती हैं।
[quote name="-चंचलेश गिरहरे, ट्रांसपोर्ट ऑफिसर" quote="शहर की सड़कों के हिसाब से रोड स्वीपिंग मशीनें कम हैं। नई मशीनें खरीदने की प्लानिंग है जिससे शहर की हर सड़क धूल मुक्त हो सके।" st="quote" style="3"]