vikrant gupta
8 Oct 2025
सीहोर जिले के प्रसिद्ध कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार को कांवड़ यात्रा से पहले दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ के चलते भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। धक्का-मुक्की में दबने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है। यह हादसा उस समय हुआ जब श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती चली गई और व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गईं।
यह घटना ऐसे समय में हुई जब बुधवार को पं. प्रदीप मिश्रा की अगुवाई में कुबेरेश्वर से चितावलिया हेमा गांव तक कांवड़ यात्रा आयोजित होनी है, जिसके लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु पहले ही कुबेरेश्वर धाम पहुंच चुके हैं।
मंगलवार को जैसे-जैसे दिन चढ़ा, कुबेरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती गई। दर्शन, भंडारे और रुकने की जगहों पर भीड़ इतनी बढ़ गई कि जगह-जगह भगदड़ जैसा माहौल बन गया। इसी अफरा-तफरी में दो श्रद्धालु नीचे गिर गए और भारी भीड़ में दबकर उनकी मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य श्रद्धालु को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
6 अगस्त को आयोजित कांवड़ यात्रा के लिए प्रशासन और आयोजकों ने दावा किया था कि 4 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के लिए नमक चौराहा, राधेश्याम कॉलोनी, बजरंग अखाड़ा, अटल पार्क, शास्त्री स्कूल, लुर्द माता स्कूल और सीवन नदी के पास ठहरने की व्यवस्था की गई है।
पूरे सावन मास के लिए भंडारा, जल व्यवस्था और दर्शन व्यवस्था के व्यापक इंतजामों की बात भी कही गई थी। लेकिन एक दिन पहले ही बढ़ती भीड़ ने सारे दावों को धराशायी कर दिया।
सीहोर एसपी दीपक शुक्ला ने जानकारी दी थी कि 5 अगस्त रात 12 बजे से लेकर 6 अगस्त रात 11 बजे तक डायवर्जन और पार्किंग प्लान लागू होगा। भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से भेजने और छोटे वाहनों को न्यू क्रिसेंट चौराहा से अमलाहा होते हुए डायवर्ट करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन हादसे के समय तक यह ट्रैफिक प्लान जमीन पर लागू नहीं हो सका, जिससे यातायात और भीड़ नियंत्रण की पूरी व्यवस्था फेल हो गई।
इस हादसे ने एक बार फिर बड़े धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और प्रशासनिक तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे के बाद धाम परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और प्रशासन अब कंट्रोल रूम के माध्यम से निगरानी कर रहा है। मृतकों की पहचान और परिजनों की तलाश की जा रही है। वहीं, आयोजकों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ये भी पढ़ें: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से भोपाल के वन विहार पहुंची बाघिन, तीन महीने की निगरानी के बाद लिया फैसला