Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
भोपाल/उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू की गई एक मादा बाघिन को विशेष रेस्क्यू ट्रक के माध्यम से भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क लाया गया है। यह रेस्क्यू ऑपरेशन 4 अगस्त की रात को शुरू हुआ और 5 अगस्त की आधी रात के बाद 12:45 बजे बाघिन को सकुशल वन विहार में पहुंचाया गया। करीब 500 किलोमीटर लंबे इस सफर के दौरान वन विभाग की विशेषज्ञ टीम हर क्षण बाघिन की निगरानी में लगी रही।
यह बाघिन अप्रैल महीने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर परिक्षेत्र के पिपरिया बीट से रेस्क्यू की गई थी। रेस्क्यू के बाद उसे मगधी जोन स्थित बहेरहा बाड़े (इंक्लोजर) में रखा गया, जहां लगभग तीन महीनों तक उसकी निगरानी की गई। इस दौरान यह पाया गया कि बाघिन स्वतंत्र रूप से शिकार करने में असमर्थ है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उसे जंगल में छोड़ना उसके लिए खतरा बन सकता है।
तीन वर्षीय बाघिन बांधवगढ़ से रेस्क्यू कर वन विहार भेजी गई - फोटो : पीपुल्स अपडेट
बाघिन की उम्र लगभग तीन वर्ष बताई जा रही है। इसके व्यवहार को लेकर गंभीर चिंता तब सामने आई जब इसने एक 12 वर्षीय बालक पर हमला कर उसकी जान ले ली थी। इसके बाद वन विभाग ने तत्काल प्रभाव से बाघिन को रेस्क्यू किया और विशेष निगरानी में रखा गया।
इस जटिल और संवेदनशील ऑपरेशन में वन्यजीव विभाग की अनुभवी टीम शामिल रही। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. अनुपम सहाय ने बताया कि, "यह केवल रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं था, बल्कि हमारी वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता और कर्तव्यबोध का उदाहरण है।" उन्होंने बताया कि बाघिन को सुरक्षित स्थान और विशेषज्ञ चिकित्सा सहायता मुहैया कराना टीम की प्राथमिकता थी।
रेस्क्यू टीम में डॉ. राजेश तोमर (वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारी), दीपक राज (वन परिक्षेत्र अधिकारी), मनीष द्विवेदी, राज किशोर बर्मन, योगेंद्र सिंह और श्रीलाल यादव जैसे अनुभवी सदस्य शामिल थे।
बाघिन को अब भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में रखा गया है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर और अधिकारी उसकी गहन निगरानी कर रहे हैं। वन विहार में उसे एक संरक्षित और शांत वातावरण मिला है, जहां वह नई शुरुआत कर सकेगी। वन विहार में रहने के दौरान बाघिन के स्वास्थ्य, व्यवहार और स्थिति का नियमित मूल्यांकन किया जाएगा। विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही उसके भविष्य को लेकर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।