इंदौर।
तिल चतुर्थी से पहले खजराना गणेश मंदिर में आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा कि दान ने नया कीर्तिमान रच दिया। सात दिन तक चली दान पेटियों की गिनती मंगलवार देर शाम पूरी हुई और जब हिसाब सामने आया तो आंकड़ा था ₹1 करोड़ 78 लाख 26 हजार 684। भक्तों की श्रद्धा सिर्फ भारतीय नोटों तक सीमित नहीं रही, बल्कि विदेशी मुद्रा, बंद हो चुकी करेंसी और चांदी के आभूषण भी गणपति बप्पा के चरणों में अर्पित किए गए।
पूरी गिनती किसी मिशन से कम नहीं थी। कड़ी सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरों की निगरानी और ट्रेजरी अधिकारी, नगर निगम व बैंक कर्मियों की मौजूदगी में यह प्रक्रिया संपन्न हुई। दान पेटियों से निकली रकम के साथ-साथ सैकड़ों पत्र भी मिले, जिनमें श्रद्धालुओं ने अपने दिल की बातें भगवान गणेश को लिख भेजीं—कहीं नौकरी की आस, कहीं पारिवारिक तनाव से मुक्ति की गुहार, तो कहीं बच्चों के भविष्य की चिंता।
तारीखवार दान का हाल
8 दिसंबर को ₹64 लाख, 9 को ₹39 लाख, 10 को ₹34 लाख, 11 को ₹19 लाख, 12 को ₹11 लाख और 15 दिसंबर को ₹2.50 लाख की राशि निकली। हर दिन खुलती पेटियों के साथ आस्था का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया।
रिकॉर्ड की कहानी
पिछले 11 वर्षों पर नजर डालें तो 2024 खजराना के लिए सबसे खास साबित हुआ, जब अब तक का सबसे अधिक दान दर्ज किया गया। वहीं कोरोना काल का 2020 ऐसा साल रहा, जब दान सबसे कम रहा। चार माह पहले 1 अगस्त को हुई गिनती में भी मंदिर को ₹1.68 करोड़ मिले थे। परंपरा के अनुसार यहां साल में तीन बार दान पेटियों की गिनती होती है।
मंदिर परिसर में लगी 43 दान पेटियों से निकली पूरी राशि को प्रबंध समिति ने पीएनबी और यूनियन बैंक के खातों में जमा करा दिया है। मैनेजर घनश्याम शुक्ला के मुताबिक, इसके बाद सभी पेटियों को दोबारा सील कर सुरक्षित स्थानों पर रख दिया गया।
दान पेटियों से निकले पत्रों ने भी सभी का ध्यान खींचा। पश्चिम क्षेत्र की एक मां ने अपनी बेटी का धामनोद से इंदौर ट्रांसफर कराने की मनौती लिखी, तो कई श्रद्धालुओं ने सुख-समृद्धि और शांति की कामना की। साफ है—खजराना गणेश का दरबार सिर्फ दान का नहीं, भरोसे और उम्मीदों का भी सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है।