Aniruddh Singh
26 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
Aniruddh Singh
25 Sep 2025
बिजनेस डेस्क। भारतीय शेयर बाजार आज यानी 26 सितंबर 2025 को गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। सेंसेक्स लगभग 350 अंक गिरकर 80,820 पर और निफ्टी 100 अंक टूटकर 24,780 के स्तर पर पहुंच गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेटेंटेड और ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान है, जो 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा।
आज सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 19 में गिरावट और 11 में तेजी रही। निफ्टी में भी दबाव बना हुआ है और यह 24,780 के स्तर पर आ गया है। गुरुवार को भी सेंसेक्स 556 अंक गिरकर 81,160 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी में 166 अंक की गिरावट दर्ज की गई थी।
फार्मा सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ के ऐलान का सबसे ज्यादा असर पड़ा। आज फार्मा शेयरों में गिरावट इस प्रकार रही:
सन फार्मा: 3.8% गिरकर 1,580 रुपए
ल्यूपिन: लगभग 3% गिरकर 1,918.60 रुपए
सिप्ला: 2% गिरावट
अरबिंदो फार्मा: 1.91% गिरकर 1,076 रुपए
Strides Pharma Science: 6% की गिरावट
नैट्को फार्मा: 5% की गिरावट
बॉयोकॉन: 4% की गिरावट
इसके अलावा डॉ. रेड्डी, ग्लैनफार्मा, मैनकाइंड फार्मा और आईपीसीए लैब के शेयर भी आज दबाव में रहे।
फार्मा सेक्टर के अलावा आईटी सेक्टर, हेल्थकेयर, और मिडकैप-समालकैप शेयर भी गिरावट के प्रभाव में रहे।
भारतीय शेयर बाजार पर गिरावट का असर वैश्विक बाजार की कमजोरी से भी जुड़ा है।
जापान (निक्केई): 0.41% की गिरावट, 45,566.58
दक्षिण कोरिया (कोस्पी): 3,382 पर फ्लैट कारोबार
हॉन्गकॉन्ग (हैंगसेंग): 0.61% की गिरावट, 26,323
चीन (शंघाई कंपोजिट): 0.18% की गिरावट, 3,846
25 सितंबर को अमेरिका में डाउ जोन्स 0.38%, नैस्डैक कंपोजिट 0.50% और S&P 500 0.50% गिरकर बंद हुए।
आज बीएसई के 3,073 शेयरों में से 2,062 शेयरों में गिरावट रही, जबकि 864 शेयरों में तेजी देखी गई। बाजार पूंजीकरण भी गिरकर 454 लाख करोड़ रुपए रह गया, जिससे निवेशकों को करीब 3 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अक्टूबर 2025 से सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ, भारी ट्रकों पर 25% और किचन कैबिनेट पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके कारण भारतीय फार्मा कंपनियों को अमेरिका में एक्सपोजर होने के चलते बाजार में भारी दबाव झेलना पड़ रहा है।
इसके अलावा, अमेरिका में बेरोजगारी दावों में कमी और GDP ग्रोथ में कमी के कारण ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है, जिससे वैश्विक निवेशकों का भरोसा भी कमजोर हुआ है।