Shivani Gupta
24 Dec 2025
नई दिल्ली। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के लिए खासतौर पर लाभकारी होगा जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करके वैकल्पिक सप्लाई चेन की तलाश कर रही हैं। भारत को यूके के बाजार में ड्यूटी-फ्री (शुल्क-मुक्त) पहुंच मिलने से न केवल भारतीय उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन मिलेगा।
यह समझौता उन क्षेत्रों को विशेष रूप से लाभ पहुंचाएगा जो श्रम-प्रधान हैं, जैसे कि वस्त्र और परिधान, रत्न और आभूषण, चमड़ा, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और समुद्री उत्पाद। इन क्षेत्रों में ड्यूटी-फ्री निर्यात की सुविधा से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और घरेलू उद्योगों को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी। साथ ही, इंजीनियरिंग सामान, फार्मा और स्वच्छ ऊर्जा जैसे पूंजी-प्रधान क्षेत्रों को भी लाभ होगा, जिससे इन क्षेत्रों में भी निवेश और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
यूके, यूरोपीय बाजार का एक महत्वपूर्ण द्वार माना जाता है। इसलिए यूके के साथ ड्यूटी-फ्री व्यापार की सुविधा मिलने से भारत में निर्मित वस्तुओं को केवल यूके ही नहीं, बल्कि यूरोप के अन्य देशों तक पहुंचाने का मार्ग भी सुगम हो जाएगा। इससे भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। भारत का बड़ा, विविधतापूर्ण और लागत-प्रभावी बाजार वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
पूर्व वाणिज्य सचिव राजीव खेर के अनुसार, भारत और यूके की अर्थव्यवस्थाएं पहले से ही किसी हद तक जुड़ी हुई हैं, लेकिन इस समझौते से उनके बीच और गहराई से आर्थिक एकीकरण की संभावनाएं बढ़ेंगी। खेर ने यह भी कहा कि जब भारत-यूके के बीच अलग से चल रही निवेश समझौते की बातचीत पूरी होगी, तब निवेश के प्रवाह को लेकर और स्पष्टता आएगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य और औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के सीईओ नागेश कुमार ने कहा कि यूके के बाजार में वरीयता प्राप्त पहुंच (प्रिफरेंशियल एक्सेस) के चलते निवेश में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि यह उन कंपनियों को आकर्षित करेगा जो चीन प्लस वन रणनीति के तहत अपनी आपूर्ति श्रृंखला को विविधीकृत कर रही हैं।
हालांकि विशेषज्ञ इस समझौते की पूरी जानकारी आने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि यह आकलन किया जा सके कि भारत को निवेश के मोर्चे पर वास्तव में कितना लाभ होगा। फिलहाल यह समझौता भारत के लिए एक रणनीतिक अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जो देश को वैश्विक आपूर्ति शृंखला का एक विश्वसनीय विकल्प बनने में मदद कर सकता है। यह न केवल निवेश को बढ़ावा देगा, बल्कि रोजगार सृजन और देश के औद्योगिक विकास को भी गति देगा।