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राजस्थान का कोटा, जिसे भारत की कोचिंग कैपिटल के रूप में जाना जाता है, अब एक ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुका है जो देश के किसी और शहर ने अब तक नहीं की। कोटा भारत का पहला शहर बन गया है जहाँ ट्रैफिक पूरी तरह बिना किसी ट्रैफिक लाइट के संचालित होता है। स्मार्ट प्लानिंग और अभिनव इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण यहाँ के निवासी और यात्री शहर में बिना रुके, सहज रूप से आवाजाही कर पाते हैं। इस ऐतिहासिक बदलाव के पीछे कोटा के अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (UIT) की वह दूरदर्शी पहल है, जिसने नो-स्टॉप ट्रैफिक की परिकल्पना को हकीकत में बदला है।
शहर ने आपस में जुडे रिंग रोड्स का जाल बिछाकर यह संभव बनाया है। इससे वाहन भीडभाड वाले चौराहों को पूरी तरह बायपास कर लेते हैं, जिससे यात्रा समय में बडी कमी आती है और ट्रैफिक निरंतर बहता रहता है। बेहतर गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए शहर के प्रमुख स्थानों पर दो दर्जन से अधिक फ्लायओवर और अंडरपास बनाए गए हैं। इससे न सिर्फ तेज आवाजाही संभव हुई है, बल्कि दुर्घटनाओं में भी कमी आई है और ईंधन की बचत हुई है- जो इसे और पर्यावरण-अनुकूल बनाता है।
कोटा उन शहरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन सकता है जो रोजाना धीमी रफ्तार और जाम की समस्या से जूझते हैं। यह बात खास तौर पर दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों पर लागू होती है, जो अपने बदनाम ट्रैफिक जाम के लिए जाने जाते हैं।
भारत में पहली बार, राजस्थान का कोटा- जो देश की "कोचिंग कैपिटल" के नाम से प्रसिद्ध है- पूरी तरह सिग्नल-फ्री ट्रैफिक सिस्टम वाला शहर बन गया है। आधुनिक शहरी डिजाइन और व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारों से प्रेरित इस बदलाव ने कोटा को लगातार बढती आबादी और वाहन संख्या के बीच भी निर्बाध यातायात वाले शहर के रूप में स्थापित कर दिया है।
इस ऐतिहासिक परिवर्तन के पीछे कोटा के अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (UIT) की दूरदर्शी शहरी योजना है। UIT ने शहर में जुडे हुए रिंग रोड्स का नेटवर्क विकसित किया, जिससे वाहन सबसे भीडभाड वाले हिस्सों को बिना रुके पार कर पाते हैं। इससे अंदरुनी मार्गों पर दबाव कम हुआ और पूरे शहर में ट्रैफिक बेहद सुचारू रूप से चलने लगा।
शहर के महत्वपूर्ण चौराहों पर दो से अधिक दर्जन फ्लायओवर और अंडरपास बनाए गए हैं, जो बिना रुकावट, सिग्नल-फ्री ट्रैफिक सुनिश्चित करते हैं। इन संरचनाओं ने चौराहों पर रुकावटों की आवश्यकता खत्म कर दी, दुर्घटना के जोखिम घटाए और बार-बार रुकने से होने वाली ईंधन की बर्बादी रोकी। यह पूरा सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलों की बजाय डिजाइन-आधारित समाधान पर निर्भर है।
कोटा का ‘नो-ट्रैफिक-लाइट’ मॉडल बुद्धिमान इंजीनियरिंग और सूक्ष्म योजना का परिणाम है। चौराहों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वाहन टकराव बिंदुओं से बचते हुए सहजता से आगे बढ सकें। फ्लायओवर और अंडरपास ट्रैफिक को अलग-अलग स्तरों पर ले जाकर क्रासिंग संघर्ष समाप्त करते हैं, जबकि राउंडअबाउट और वन-वे मार्ग लगातार गति बनाए रखने में मदद करते हैं। साफ-सुथरी रोड साइनेज और मार्किंग ड्राइवरों का दिशा-निर्देशन करती हैं, और पीक आवर्स में ट्रैफिक पुलिस व स्वयंसेवक पैदल यात्रियों की सहायता करते हैं।
आज कोटा में वाहन बिना रुके स्थिर गति से चलते हैं- न कि अधिकांश भारतीय शहरों की तरह रुक-रुक कर। लाखों निवासियों और रोजाना आने वाले हजारों छात्रों की आवाजाही के बावजूद ट्रैफिक पहले से अधिक पूर्वानुमेय और बाधारहित हो गया है। यह साबित करता है कि योजनाबद्ध इन्फ्रास्ट्रक्चर पारंपरिक ट्रैफिक सिग्नलों की जगह लेकर एक स्मार्ट, सुरक्षित और स्थायी शहरी यातायात मॉडल दे सकता है।
कोटा का पूरी तरह सिग्नल-फ्री बनना अन्य शहरों के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित करता है। यह दिखाता है कि मजबूत योजना, सुनियोजित इंजीनियरिंग और सटीक कार्यान्वयन मिलकर ऐसा शहर बना सकते हैं जहाँ वाहनों को अब कभी रेड लाइट का इंतजार न करना पडे।