Hemant Nagle
18 Nov 2025
नई दिल्ली। कल्पना चावला ने आज ही के दिन 19 नवंबर 1997 को एक ऐसा इतिहास रचा था, जिसे आज भी पूरे गर्व के साथ याद किया जाता है। वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उनके इस कदम ने दुनिया को यह संदेश दिया कि सपनों को पूरा करने के लिए हिम्मत, मेहनत और लगन ही सबसे बड़ी ताकत होती है। छोटे शहर करनाल से नासा तक का उनका सफर न सिर्फ प्रेरणादायक है। बल्कि यह बताता है कि अवसरों की कोई सीमाएं नहीं होतीं।
बता दें कि, 1997 में नासा के स्पेस शटल कोलंबिया के जरिये कल्पना चावला ने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की। इस मिशन के दौरान उन्होंने पृथ्वी के वायुमंडल, जलवायु और अंतरिक्ष से जुड़ी कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जांचों में योगदान दिया। उनका शांत स्वभाव, तकनीकी दक्षता और अपने काम के प्रति समर्पण नासा के वैज्ञानिकों के लिए भी प्रेरणा का कारण बना।
उनके इस मिशन ने लड़कियों और युवाओं के बीच वैज्ञानिक शोध, इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष तकनीक को लेकर नई उम्मीदें पैदा कीं। कल्पना ने हमेशा कहा था कि आपका सपना आपको वहां तक जरूर ले जाएगा जहां आप जाना चाहते हैं।

इसके अलावा कल्पना चावला की यह उपलब्धि ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। वह भारतीय मूल की उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में शामिल थीं। जिन्होंने न सिर्फ अपने देश का नाम रोशन किया बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में नई राहें भी खोलीं।
कल्पना चावला की उपलब्धियों के बाद भारत में विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति रुचि और जागरूकता में तेजी से वृद्धि हुई। आज भी स्कूलों और कॉलेजों में कल्पना चावला को प्रेरणा के रूप में याद किया जाता है। उनकी सफलता और बलिदान ने साबित किया कि चुनौतियां चाहे कितनी भी बड़ी हों लक्ष्य हमेशा हासिल किए जा सकते हैं। कल्पना चावला आज भी करोड़ों युवाओं के लिए सपनों को पंख देने वाली प्रेरणा बनी हुई हैं।