Naresh Bhagoria
13 Nov 2025
Aditi Rawat
11 Nov 2025
इसकी स्थिर लय ने उस पुराने विश्वास को चुनौती दी कि हमारी आकाशगंगा ही ब्रह्मांड की सीमा तय करती है। इस खोज ने मापों की एक नई श्रृंखला की शुरुआत की, जिसने हमें यह समझने में मदद की कि ब्रह्मांड कैसे फैलता और उम्रता है। एक सदी पहले, एंड्रोमेडा आकाशगंगा में एक मंद और झिलमिलाता तारा जिसे V1 के रूप में दर्ज किया गया, ने खगोल विज्ञान को यह स्वीकार करने पर मजबूर किया कि हमारा ब्रह्मांड इससे कहीं बड़ा है। यह तारा लगभग 22 लाख प्रकाशवर्ष दूर है, यानी करीब 13 क्विंटिलियन मील, और हमारी मिल्की वे से बहुत परे स्थित है।
एडविन हबल ने माउंट विल्सन के 100 इंच हुक्कर टेलीस्कोप से वेरिएबल तारा V1 का अध्ययन किया। इसका नियमित चमकना और मंद होना इसे “यार्डस्टिक” बना देता था। हबल ने इसकी वास्तविक चमक और दिखाई देने वाली चमक की तुलना कर एंड्रोमेडा की दूरी मापी। यह साबित हुआ कि एंड्रोमेडा हमारी आकाशगंगा के बाहर है और अलग आकाशगंगा है।
1912 में हेन लीविट ने पाया कि सेफिड तारे जितनी लंबी अवधि में चमकते हैं, वे उतने ही चमकदार होते हैं। इससे तारे की वास्तविक चमक पता चलती है। वास्तविक और दिखाई देने वाली चमक की तुलना से दूरी सीधे निकलती है।
वेस्टो स्लिफर ने दिखाया कि कई स्पाइरल आकाशगंगाएँ लाल अवशोषित प्रकाश दिखाती हैं। 1929 में हबल ने दूरी और गति का संबंध पाया: जितनी दूर आकाशगंगा, उतनी तेज़ गति। बाद में यह पता चला कि आकाशगंगाएँ स्थिर रहती हैं, लेकिन अंतरिक्ष फैलता है।
1990 में हबल स्पेस टेलीस्कोप ने धरती की वायुमंडलीय बाधाओं से ऊपर जाकर दूर की आकाशगंगाओं में सेफिड्स की खोज की। हबल डीप फील्ड और अल्ट्रा डीप फील्ड ने अरबों साल पुरानी आकाशगंगाओं को दिखाया, जिससे उनकी विकास प्रक्रिया समझ में आई।
1998 में दूर के सुपरनोवा का अध्ययन दिखाया कि ब्रह्मांड का विस्तार तेज़ हो रहा है। इसे डार्क एनर्जी द्वारा समझाया जाता है, जो अंतरिक्ष में स्थिर ऊर्जा की तरह कार्य करती है। इससे ब्रह्मांड के भविष्य की हमारी कल्पना बदल गई।
ब्रह्मांड की उम्र लगभग 13.8 अरब साल मानी जाती है। हबल कॉन्स्टेंट, यानी वर्तमान विस्तार दर, दो अलग तरीकों से मापी जाती है, लेकिन दोनों का परिणाम मेल नहीं खाता। यह अंतर नई भौतिकी या मापन में सूक्ष्म त्रुटियों का संकेत हो सकता है।
V1 हमें सिखाता है कि धैर्य और सटीक मापन कैसे बड़े ब्रह्मांडीय परिणाम लाते हैं। आज भी सेफिड तारे और सुपरनोवा ब्रह्मांडीय दूरी मापन के लिए मुख्य आधार हैं। V1 की धड़कन एक सदी बाद भी हमारे ब्रह्मांडीय पैमाने को समझने में मदद करती है।