Naresh Bhagoria
13 Nov 2025
Aditi Rawat
13 Nov 2025
Naresh Bhagoria
13 Nov 2025
जबलपुर। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर मप्र सरकार बनाए गए नियमों को चुनौती देने वाली 45 याचिकाओं पर गुरुवार को मप्र हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई है। करीब सवा घंटे तक चली सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा कि यह काफी संगीन मामला है। हम चाहते हैं कि इस संगीन मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी हो और हम अपना फैसला सुनाएं। बेंच ने 20 और 21 नवंबर को मामले पर आगे सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। भोपाल की वेटरनरी सर्जन डॉ. स्वाति तिवारी व अन्य की ओर से दायर इन याचिकाओं में मप्र पदोन्नति नियम 2025 की वैधता को चुनौती दी गई है। आवेदकों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियम न सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 16 व 335 के खिलाफ हैं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एम नागराज और जरनैल सिंह के मामलो में दिए गए दिशा निर्देशों की भी सीधी अवहेलना कर रहे हैं। इन मामलों पर हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रमोशनों पर रोक लगा दी थी। यह अंतरिम आदेश अभी भी यथावत है।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देने वाला मप्र देश का पहला राज्य है। इस बयान पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हर मामले में कोई न कोई तो पायनियर (पहला) होता ही है और इसमें कोई हर्ज नहीं है। कौशिक ने यह भी कहा कि वर्ष 2002 के प्रमोशन नियमों को हाईकोर्ट ने आरबी राय के केस में समाप्त किया था। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने नाममात्र का बदलाव करके नए नियम बना दिए, जो अवैधानिक है।
प्रमोशन में आरक्षण से संबंधित इस मामले में प्रदेश के लाखों कर्मचारी का भविष्य अधर में लटका हुआ है। एक वर्ग उन कर्मचारियों का है, जो राज्य सरकार के नियम के तहत पदोन्नति पाने के हकदार होंगे। दूसरा वर्ग उन कर्मचारियों का है, जो नए नियम के कारण प्रमोशन से वंचित हो जाएंगे। बहरहाल, इन सभी कर्मचारियों को मप्र हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है। हाईकोर्ट का फैसला न सिर्फ प्रमोशन में आरक्षण के मामले में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि उससे प्रभावित हो रहे कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता भी साफ हो सकेगा।