Aditi Rawat
21 Nov 2025
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21 Nov 2025
Mithilesh Yadav
21 Nov 2025
Mithilesh Yadav
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हर्षित चौरसिया, जबलपुर। जंगल में मिलने वाले वन्यप्राणियों के डिकम्पोज (पूरी तरह से सडे- गले) शव पर मंडराने वाली मक्खियां और उनके अंडे, लार्वा वन्यजीव की मौत का राज खोलेंगे। देश में पहली बार नानाजी देशमुख वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने इस फारेंसिंक एनटोमोलॉजी इन डेथ इन्वेटिगेशन ऑफ वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है।
शव के ऊपर बैठी मक्खियों और मैगेट से मृत्यु के कारणों का पता लगाने के साथ वन्यजीव की मौत किस स्थान में हुई है, यह भी पता लगेगी। साथ ही शिकार जैसे मामलों में शिकारियों के विरुद्ध न्यायालय में वन विभाग ठोस प्रमाण दे पाएगा।
वीयू के प्रोजेक्ट को विभाग ने इसलिए स्वीकृति दी, क्योंकि शव के बारे में वेटरनियन्स वन्यप्राणी की मौत के 72-96 घंटे तक के बीच में का ही समय बता पाते थे। शव सड़ने से बताना मुश्किल है कि यह शव बाघ, तेंदुए या अन्य वन्यजीव का है।
विवि के कुलपति प्रो. डॉ. एसपी तिवारी एवं सेंटर की डायरेक्टर डॉ. शोभा जावरे के निर्देशन में प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत हम वन्यजीवों की असामयिक मृत्यु के बाद डिकम्पोज शव के सैंपलों में लगने वाली मक्खियों, उनके द्वारा दिए जाने वाले अंडे और लार्वा की एक्टिविटी से शव की डिटेल प्राप्त कर सकेंगे। -डॉ. केपी सिंह, प्रिंसिपल इन्वेटिगेटर, प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट से वन्यजीव अपराध करने वालों के विरुद्ध साक्ष्य कोर्ट में वन विभाग प्रस्तुत कर सकेगा। वन्यजीव की मौत सामान्य हुई या शिकार से, इसका खुलासा होगा। -प्रो. डॉ. एसपी तिवारी, कुलपति वीयू