
अहमदाबाद। गुजरात के बनासकांठा जिले में शनिवार तड़के भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। यह झटके सुबह करीब 3:35 बजे दर्ज किए गए, जिससे कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।
जमीन से 4.9 किमी नीचे था केंद्र
इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्मोलॉजिकल रिसर्च (ISR) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 3.4 मापी गई। इसका केंद्र वाव कस्बे से करीब 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर-पूर्व (ENE) में था और यह झटका जमीन से करीब 4.9 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया।
भूकंप के बाद घरों से बाहर निकले लोग
हल्के झटकों के बावजूद कुछ इलाकों में डर का माहौल बना रहा और लोग एहतियातन अपने घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटके ज्यादा तेज नहीं थे, लेकिन सुबह-सुबह अचानक धरती डोलने से कई लोगों की नींद में खलल पड़ा।
भूकंप के लिहाज से क्यों संवेदनशील है गुजरात?
गुजरात को भूकंप के लिहाज से भारत का सबसे संवेदनशील राज्य माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य की भौगोलिक स्थिति और टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधियां इसे भूकंपीय दृष्टि से अधिक जोखिम वाला क्षेत्र बनाती हैं। खासकर कच्छ, जामनगर, बनासकांठा और गांधीनगर जिले अक्सर खतरे की जद में रहते हैं।
2001 की तबाही अब भी नहीं भूले लोग
26 जनवरी 2001 को गुजरात के कच्छ जिले में आया भूकंप राज्य के इतिहास की सबसे भीषण आपदा थी। उस भूकंप की तीव्रता 7.7 मापी गई थी, जिसमें करीब 13,800 लोगों की मौत हुई और 1.67 लाख से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस विनाशकारी घटना ने राज्य के कई इलाकों को पूरी तरह तबाह कर दिया था।
आपदा से निपटने के लिए क्या करें और क्या नहीं
भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है। गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GSDMA) लगातार लोगों को इसके लिए जागरूक कर रहा है। कुछ जरूरी सावधानियां इस प्रकार हैं:
इमारत के अंदर हैं तो: किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठ जाएं, चेहरे और सिर को हाथों से ढंक लें।
बाहर हैं तो: इमारतों, पेड़ों और बिजली के खंभों से दूर रहें।
वाहन में हैं तो: वाहन रोकें और उसमें ही रहें।
मलबे में दब जाएं तो: माचिस न जलाएं, न हिलें। किसी पाइप या दीवार को थपथपाएं ताकि बचावकर्मी आपको ढूंढ सकें।
क्या होता है रिक्टर स्केल?
भूकंप की तीव्रता नापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। रिक्टर स्केल मूल रूप से भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी खोज अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्सा रिक्टेर और बेनो गुटरबर्ग ने 1935 में की थी। उनका सोचना था कि, भूकंप की तीव्रता को एक संख्या में व्यक्त किया जाना चाहिए ताकि इसकी तुलना अन्य भूकंपों से की जा सके।
आखिर क्यों आते हैं भूकंप ?
भूकंप आने के पीछे की वजह पृथ्वी के भीतर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। हमारी पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती हैं। जब ये आपस में टकराती हैं, तब फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। जिसकी वजह से सतह के कोने मुड़ जाते हैं और वहां दबाव बनने लगता है। ऐसी स्थिति में प्लेट के टूटने के बाद ऊर्जा पैदा होती है, जो बाहर निकलने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है।
कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र (एपीसेंटर) से मापा जाता है। भूकंप को लेकर चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।
किस तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है
• 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप काफी कमजोर होता है। सीज्मोग्राफ से ही इसका पता चलता है।
• वहीं 2 से 2.9 तीव्रता का भूकंप रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन करता है।
• 3 से 3.9 तीव्रता का भूकंप आने पर ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर गया हो।
• 4 से 4.9 तीव्रता का भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। साथ ही दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
• 5 से 5.9 तीव्रता का भूकंप आने पर घर का फर्नीचर हिल सकता है।
• 6 से 6.9 तीव्रता का भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है।
• 7 से 7.9 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है। इससे बिल्डिंग गिर जाती हैं और जमीन में पाइप फट जाती है।
• 8 से 8.9 तीव्रता का भूकंप काफी खतरनाक होता है। जापान, चीन समेत कई देशों में 8.8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप ने खूब तबाही मचाई थी।
• 9 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने पर पूरी तबाही होती है। इमारतें गिर जाती है। पेड़ पौधे, समुद्रों के नजदीक सुनामी आ जाती है।
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