Manisha Dhanwani
12 Sep 2025
Manisha Dhanwani
12 Sep 2025
काठमांडू। नेपाल में Gen-Z के नेतृत्व वाले हिंसक प्रदर्शन के बाद उत्पन्न राजनीतिक संकट के बीच शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंप दी गई। शुक्रवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें शपथ दिलाई। इससे पहले नेपाल की संसद को भंग कर दिया गया था।
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। उन्हें राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में शपथ दिलाई। सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति रामसहाय यादव, काठमांडू के मेयर बालेन शाह, मुख्य न्यायाधीश प्रकाश सिंह रावत उपस्थित रहे।
सुशीला कार्की कौन हैं?
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून, 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर किया और फिर त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। 1979 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की। 1985 में सहायक शिक्षिका के तौर पर महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में कार्य किया।
2007 में वह सीनियर एडवोकेट बनीं। 22 जनवरी, 2009 को सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक जस्टिस नियुक्त हुईं। इसके बाद 18 नवंबर, 2010 को पूर्ण न्यायाधीश बनीं। 13 अप्रैल से 10 जुलाई, 2016 तक कार्यवाहक चीफ जस्टिस बनीं और फिर 11 जुलाई, 2016 से 7 जून, 2017 तक नेपाल की चीफ जस्टिस के पद पर कार्यरत रहीं।
सुशीला कार्की ने अपने कार्यकाल के दौरान लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। लेकिन 30 अप्रैल, 2017 को माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस के सदस्यों ने उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। आरोप था कि उन्होंने कार्यपालिका में हस्तक्षेप किया। हालांकि, लोगों के दबाव और सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया था।
सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी नेपाली कांग्रेस के प्रमुख नेता हैं। दोनों की मुलाकात पढ़ाई के दौरान बनारस में हुई थी।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर में Gen-Z समूहों की बढ़ती सक्रियता ने सत्ता पर दबाव बनाया। इस बीच राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल संसद भंग करने के लिए तैयार हो चुके हैं, जिससे सुशीला कार्की के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार स्थापित होगी। उनका कार्यकाल अस्थाई रहेगा, ताकि देश में स्थिरता लौट सके और आगामी चुनावों की तैयारी की जा सके।