Shivani Gupta
16 Sep 2025
Shivani Gupta
15 Sep 2025
न्यू जर्सी। हाल ही के वर्षों में विभिन्न अध्ययनों का फोकस पेट में पाए जाने वाले माइक्रोब्स पर रहा है। इन अध्ययनों में यह जानने की कोशिश की गई है कि ये माइक्रोब्स ब्रेन को कैसे प्रभावित करते हैं। चूंकि फर्मेंटेड फूड्स पेट का स्वास्थ्य सुधारने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए रिसर्चर्स यह जानना चाहते हैं कि किस तरह से ये फूड्स मानसिक सेहत को प्रभावित करते हैं। न्यूरोसाइंस एवं बिहेवियरल रिव्यू में प्रकाशित एक नए अध्ययन में विभिन्न प्रकार के फर्मेंटेड फूड्स, फर्मेंटेशन की तकनीक तथा उनकी मस्तिष्क को प्रभावित करने की क्षमता पर विचार किया गया है। इसमें यह पाया गया है कि फर्मेंटेड फूड्स शरीर की पाचन व्यवस्था को सीधे प्रभावित करता है। इससे घ्रेलीन, न्यूरोपेप्टाइड-वाय, ग्लूकागोन- जैसे पेप्टाइड (जीएलपी-1) तथा सेरोटोनिन जैसे हार्मोन्स प्रभावित होते हैं। फमेंटेड फूड्स में प्रीबॉयोटिक्स एवं प्रोबॉयोटिक्स तत्वों की मात्रा ज्यादा होती है, जिसके कारण जीएलपी-1 की मात्रा बढ़ जाती है। हालांकि यह समझने के लिए और रिसर्च की आवश्यकता है कि फर्मेंटेड फूड्स भोजन करने की इच्छा एवं भूख को किस तरह प्रभावित करते हैं। फर्मेंटेड डेयरी प्रोडक्ट्स के मानव की हेल्थ पर पड़ने वाले प्रभावों पर किए गए अध्ययनों के मिलेजुले नतीजे रहे हैं।
आहार से बदली जा सकती है पेट में बैक्टीरिया की मात्रा
माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसीन में न्यूरोसाइंस विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निकोले एवेना का कहना है कि हमारे पेट में सैकड़ों प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं। शिशु के जन्म से पहले मां का स्वास्थ्य से लेकर मौजूदा पर्यावरण के अनुसार हर व्यक्ति में इन बैक्टीरिया की मात्रा एवं प्रकार अलग-अलग होते हैं। वहीं आहार के जरिए हम इन बैक्टीरिया की मात्रा एवं प्रजाति को घटा-बढ़ा सकते हैं। फर्मेंटेड फूड्स में पॉलीफेनॉल्स, डाएटरी फाइबर्स जैसे प्रोबॉयोटिक्स तथा इन बैक्टीरिया के द्वारा उत्पादित मेटाबोलाइट्स होते हैं। फर्मेंटेड फूड्स में मौजूद ये तत्व व्यक्ति के पेट की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं, इस प्रकार ये मानसिक सेहत को सुधारने में सहयोगी होते हैं। फर्मेंटेड फूड्स के कुछ प्रमुख प्रकार