Naresh Bhagoria
15 Dec 2025
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14 Dec 2025
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14 Dec 2025
अशोक गौतम, भोपाल।

एजेंसी यह भी देखेगी कि वर्तमान सड़कों में एक जोन से दूसरे जोन तक पहुंचने में कितना समय लगता है और नई सड़क बनने से इस समय को कितना कम किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर भोपाल से इंदौर पहुंचने में साढ़े तीन घंटे का समय तय किया गया है, लेकिन नई सड़क बनने से भोपाल-इंदौर पहुंचने में समय को एक घंटे तक कम किया जा सकेगा। ऐसी सड़कों में बीच-बीच में 100-150 किलोमीटर पर वाहनों को एंट्री-एग्जिट मिल पाएगी।
उद्योग और पर्यटन पर विशेष तौर पर फोकस किया जाएगा। जितने पर्यटन क्षेत्र हैं उनके क्लस्टर बनाए जाएंगे। इनके लिए आपस में कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। वर्तमान में अगर सड़कें हैं तो इनको फोर लेन किया जाएगा। पेंच-कान्हा, कान्हा-बांधवगढ़, बांधवगगढ़ से पन्ना और पन्ना टाइगर रिजर्व से सांची कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसी तरह भोपाल-रतलाम हाईवे बनाया जाएगा जो सीधे दिल्ली मुंबई हाईस्पीड एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। भोपाल-इंदौर, इंदौर-पीथमपुर, इंदौर-मंबई, एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जाएगा। सड़कों से मैहर, उज्जैन, ओंकारेश्वर, सांची, उदयगिरी को जोड़ा जाएगा।

प्रदेश में प्रस्तावित 14 सड़कें व्यापार, उद्योग, शिक्षा, यातायात, लॉजिस्टक, राजस्व के हिसाब से लाइफ लाइन होंगी। ये सड़कें मप्र के परिवहन को मजबूत बनाने का काम करेंगे। यह सभी सड़कें ग्रीनफील्ड और पुरानी सड़कों को जोड़ते हुए बनेंगी। चार सड़कें NHAI और 10 सड़कें MPRDC द्वारा प्रस्तावित हैं।
वर्तमान में भोपाल से मंदसौर रोड से पहुंचने में पांच घंटे से ज्यादा समय लगता है। कॉरिडोर बनने से तीन घंटे में कार और बस से पहुंचा जा सकेगा। यह रोड सीधे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से मिलेगा, जिससे दिल्ली, मुंबई, राजस्थान उत्तर प्रदेश में माल परिवहन करना आसान हो जाएगा। इससे मंडीदीप, गोविंदपुर, महाबडिया सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों से माल सीधे एक्सप्रेस-वे तक जल्दी पहुंचाया जा सकेगा।
अब हाइवे, एक्सप्रेस वे का निर्माण उपयोगिता, अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और कारोबार के हिसाब से किया जाएगा। इसके साथ ही ये सड़कें एक डेडिकेटेड कॉरिडोर के रूप में तैयार होंगी। इससे लोगों को एक महानगर अथवा एक औद्योगिक हब से दूसरे तक पहुंचने में काफी कम समय लगेगा।
सुखबीर सिंह, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग