Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
नई दिल्ली। दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच में पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। धमाके वाली जगह से 9MM कैलिबर के तीन कारतूस बरामद हुए हैं, जिनमें दो जिंदा और एक खाली खोखा शामिल है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि, मौके से कोई पिस्टल या हथियार का हिस्सा नहीं मिला।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 9MM कैलिबर का कारतूस आम नागरिकों के लिए बैन है और इसे आमतौर पर सुरक्षा बल या पुलिसकर्मी ही इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि, धमाके वाली जगह पर ये कारतूस किसी बाहरी व्यक्ति के हाथ से पहुंचाए गए हो सकते हैं। जांच में यह पता चला कि, मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों के हथियारों और उनके कारतूसों में कोई कमी नहीं थी। इससे यह अंदेशा और बढ़ गया कि ये कारतूस ब्लास्ट के बाद या किसी अन्य तरीके से वहां पहुंचे होंगे।
पुलिस अब यह पता लगाने में लगी है कि, कारतूस और ब्लास्ट के बीच कोई संबंध है या यह केवल संयोग है। फॉरेंसिक टीम कारतूसों की जांच कर रही है कि, क्या इन्हें हाल ही में इस्तेमाल किया गया था।
धमाके के तुरंत बाद का CCTV फुटेज सामने आया है। वीडियो में लोग घायलों को रेहड़ी और ई-रिक्शा से अस्पताल ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कुछ घायलों को सड़क किनारे लिटाया गया था, जबकि पीछे खड़ी कारों में आग लगी हुई थी।
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जांच में यह खुलासा हुआ कि, ब्लास्ट में इस्तेमाल i20 कार फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में 29 और 30 अक्टूबर को खड़ी थी। 30 अक्टूबर को आतंकी उमर कार लेकर यूनिवर्सिटी से फरार हो गया। इससे पहले 28 अक्टूबर को उसका साथी आतंकी मुजम्मिल गिरफ्तार हो चुका था। जांच एजेंसियां यह भी देख रही हैं कि, क्या यूनिवर्सिटी के CCTV समय रहते खंगाले गए और उमर की लोकेशन ट्रैक की गई। अगर ऐसा होता तो कार के जरिए लाल किले तक पहुंचने से पहले अलर्ट जारी किया जा सकता था।
जांच के अनुसार, 9 नवंबर को यह कार दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर देखी गई। 10 नवंबर की सुबह कार ने दिल्ली में प्रवेश किया और VVIP इलाकों से होते हुए लाल किले के पास पहुंची।
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