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Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
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इंदौर - फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी, जो अब तक खुद को शिक्षा की उत्कृष्ट संस्था बताती रही है, अब आतंकी साजिशों, शैक्षिक फर्जीवाड़े और कट्टरपंथ के केंद्र के रूप में उजागर होकर गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट के मुख्य आरोपी के यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में जुड़े होने के खुलासे ने जांच एजेंसियों को हिला दिया है। लगातार सामने आ रहे चौंकाने वाले तथ्यों ने साफ कर दिया है कि कैंपस में पढ़ाई से ज्यादा संदिग्ध गतिविधियों का बोलबाला था। कॉलेज स्टाफ से लेकर फैकल्टी तक, लगभग 80% छात्र कश्मीरी मूल के पाए गए, जिसे सुरक्षा एजेंसियों ने विशेष रूप से नोट किया है। यही नहीं, हाल ही में विश्वविद्यालय छोड़ने वाले छात्रों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है और कई छात्र-छात्राएँ खुलकर कैंपस के वातावरण पर सवाल उठा रहे हैं।
मुख्य आरोपी डॉ. उमर-उन-नबी, जिसे दिल्ली ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किया गया है, यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था। इसी क्रम में दो अन्य डॉक्टर—डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन शाहिद—को विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि यूनिवर्सिटी ने डॉ. निसार-उल-हसन को भी नियुक्त किया हुआ था, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने वर्ष 2023 में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के चलते सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इन लगातार खुलासों ने यह साफ कर दिया है कि संस्थान के भीतर कट्टरपंथी माहौल गहराता जा रहा था और सामान्य शैक्षणिक वातावरण लगभग समाप्त होता जा रहा था।
कई छात्रों ने बताया कि परिसर में दो हिंदू-सिख छात्राओं का कथित रूप से धर्मांतरण कराया गया, जिसके बाद वे बुर्का पहनकर आने लगीं। कैंपस में हिंदू छात्रों की संख्या बेहद कम है और वे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं, जिसके चलते वे शिकायत भी खुलकर नहीं कर पाते। भारत-पाक मैच के दौरान ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसे नारे लगाए जाने की शिकायतें भी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। इन घटनाओं के बाद परिसर में तनाव की स्थिति बन गई थी, जिसके कारण सुरक्षा गार्डों की तैनाती बढ़ानी पड़ी।
विश्वविद्यालय की आधिकारि वेबसाइट ऑफलाइन-
आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी के शैक्षिक फर्जीवाड़े की परतें भी खुलने लगीं। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, क्योंकि 2016 और 2018 में मान्यता समाप्त होने के बावजूद यूनिवर्सिटी अपनी वेबसाइट पर लगातार “A ग्रेड” का दावा कर रही थी। जांच की आहट मिलते ही विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट (alfalahuniversity.edu.in) को तत्काल ऑफलाइन कर दिया गया।
40% से ज्यादा छात्र और लगभग 80% फैकल्टी कश्मीरी -
मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भी कश्मीरी छात्रों व डॉक्टरों की संख्या असामान्य रूप से अधिक पाई गई। 40% से ज्यादा छात्र और लगभग 80% फैकल्टी कश्मीर से होने की बात सामने आई है, जिस पर अब विभिन्न एजेंसियों ने अलग से नजर रखना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर ईडी विदेशी फंडिंग और संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है। हरियाणा पुलिस ने दिल्ली के ओखला स्थित यूनिवर्सिटी के हेड ऑफिस से कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिन्हें आगे की जांच में खंगाला जाएगा।
दो डॉक्टर और भी संपर्क में
दोनों डॉक्टर- कथित तौर पर डॉ. मुजम्मिल गनई के संपर्क में थे। शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि इनमें से एक ब्लास्ट के दिन दिल्ली में था। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं के तहत दो एफआइआर दर्ज की हैं। उधर, एनआइए ने पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर से अल-फलाह के एमबीबीएस छात्र निसार आलम को हिरासत में लिया है। राजस्थान के मालपुरा के डॉ. शाबाद से पूछताछ कर उन्हें छोड़ दिया।