Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य बीके हरिप्रसाद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर बड़ा विवादित बयान दिया है। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से RSS की प्रशंसा करने पर हरिप्रसाद ने तीखी आलोचना की और संघ को “भारतीय तालिबान” करार दिया। इस बयान के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच नई जुबानी जंग छिड़ गई है।
अपने 12वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RSS के 100 साल पूरे होने पर बधाई दी थी। उन्होंने संघ को दुनिया का सबसे बड़ा सेवा संगठन बताते हुए कहा कि “व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण” के संकल्प के साथ स्वयंसेवकों ने मां भारती की सेवा में 100 वर्षों का योगदान दिया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आरएसएस देश में शांति भंग करने का काम करता है और इसकी तुलना केवल तालिबान से ही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि, “यह शर्म की बात है कि आरएसएस आज तक पंजीकृत संगठन नहीं है। हमें यह तक नहीं पता कि इसकी फंडिंग कहां से होती है। आजादी की लड़ाई में किसी ‘संघी’ का योगदान नहीं रहा।”
हरिप्रसाद ने आगे कहा कि, बीजेपी और आरएसएस इतिहास को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं। उन्होंने दावा किया कि बंगाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री ए.के. फजलुल हक और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन का पहला प्रस्ताव रखा था। वहीं जिन्ना और सावरकर भी अलग-अलग राष्ट्र की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब बीजेपी इस जिम्मेदारी को कांग्रेस पर मढ़ने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी ने हरिप्रसाद के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस हर राष्ट्रवादी संगठन को गाली देती है, लेकिन पीएफआई और सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठनों को अपना समझती है। उन्होंने कहा – “कांग्रेस RSS में तालिबान देखती है, सेना में गुंडे और पाकिस्तान में अपना भाईजान। कांग्रेस की मानसिकता ही तालिबानी है।”
बीजेपी ने सवाल उठाया कि अगर आरएसएस इतना नकारात्मक संगठन है तो महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण ने इसकी तारीफ क्यों की थी? पूनावाला ने याद दिलाया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय गए थे और संघ के योगदान की सराहना की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 25 सितंबर 1925 को नागपुर में हुई थी। संघ का दावा है कि उसने शिक्षा, सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय एकता के लिए लगातार काम किया है। 2025 में संघ अपनी शताब्दी वर्षगांठ मनाने जा रहा है।