Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस संगठन में पिछले दो माह से जिलाध्यक्ष बनाने की चल रही कवायद के बाद आखिरकार शनिवार को 71 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा कर दी गई है। इनमें दिग्गज 6 वर्तमान और 8 पूर्व विधायकों को जिलों की कमान दी गई है जबकि 21 जिलाध्यक्षों को रिपीट किया गया है। वहीं, 4 महिलाओं और 2 मुस्लिम नेताओं को जगह मिली है। चौकाने वाली बात है कि संगठन ने ऐसे वरिष्ठ नेताओं को जिले में भेज दिया है जो प्रदेश अध्यक्ष बनने की कतार में शामिल हैं। यहां तक कि केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल सदस्य भी अब जिलों में सक्रिय रहेंगे। वहीं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, उमंग सिंघार, अरुण यादव एवं कांतिलाल भूरिया सहित अन्य नेता दरकिनार कर दिए गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सब पर भारी रहे हैं।
ओमकार सिंह मरकाम (49 वर्ष ) को डिंडोरी जिले जिम्मेदारी मिली है। वे आदिवासी समुदाय से आते हैं और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य हैं। राष्ट्रीय स्तर पर टिकट वितरण में उनकी भूमिका रहती है। प्रदेश कांग्रेस में मंत्री और महासचिव रह चुके हैं तथा चार बार विधायक भी बने हैं।
जयवर्द्धन सिंह (39 वर्ष) को गुना जिले की जिम्मेदारी दी गई है। वह दो बार विधायक रह चुके हैं, मंत्री भी रहे और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र हैं। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में भी उनका नाम आता रहा है।
संजय उइके (57 वर्ष) को बालाघाट की जिम्मेदारी दी गई है। वे तीन बार विधायक रह चुके हैं और विधानसभा में सक्रिय रहे हैं। आदिवासी समुदाय से जुड़े होने के बावजूद अब उन्हें जिले तक सीमित कर दिया गया है, इसलिए बैहर और आसपास के इलाकों में उनकी सक्रियता जरूरी होगी।
महेश परमार (46 वर्ष) को उज्जैन ग्रामीण से मौका दिया गया है। वे तराना से दूसरी बार विधायक बने हैं और संगठनात्मक गतिविधियों में आगे रहते हैं। विधानसभा में नारेबाजी और विरोध-प्रदर्शन में सक्रिय माने जाते हैं। अब उनसे अपेक्षा होगी कि उज्जैन जिले में आंदोलनों का नेतृत्व करें।
सिद्धार्थ कुशवाहा (41 वर्ष) को सतना ग्रामीण की जिम्मेदारी दी गई है। वे सतना शहर से दूसरी बार विधायक हैं। महापौर और सांसद का चुनाव हार चुके हैं। वर्तमान में पीसीसी उपाध्यक्ष और ओबीसी सेल के प्रदेश अध्यक्ष हैं। अब उन्हें ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति संभालनी होगी।
देवेंद्र पटेल (55 वर्ष) को रायसेन जिले में अध्यक्ष बनाया गया है। वे सिलवानी से विधायक हैं। हालांकि जिले में इनकी सक्रियता कम देखी गई है और अपने क्षेत्र की समस्याएँ जोर से नहीं उठाते। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें ओबीसी वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी है।
प्रदेशभर में संगठन सृजन अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत पर्यवेक्षकों को जिलों में भेजा गया और जिलाध्यक्ष के लिए संभावित नाम तलाशे गए। खबर है कि पर्यवेक्षक आपस में ही एक-दूसरे के समर्थकों को अध्यक्ष के लिए रिकमंड करने लगे। भोपाल को लेकर दिल्ली तक शिकायत भी पहुंची थी। इसके बाद कांग्रेस पर्यवेक्षकों के प्रमुख पर्यवेक्षक सैंथिल ने अलग से मॉनिटरिंग कराई। यहां महाराष्ट्र से यशोमति ठाकुर को अलग से भेजा गया था और उन्होंने रायशुमारी की थी। दिल्ली यह भी जानकारी पहुंची थी कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को आपत्ति है कि चयन मामले में उनकी सुनी नहीं जा रही है। लिहाजा राहुल गांधी ने चार दिन पहले कई नाम हटा दिए और उनके स्थान पर विधायक सहित अन्य सक्रिय नेताओं को शामिल कराया।
-कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने पूर्व में स्पष्ट किया था कि टिकट बांटने में अब जिलाध्यक्षों का निर्णय ही अंतिम होगा। इसलिए प्रभावी नेताओं को कमान दी गई हैं।
-राहुल के पाले से सीधे एंट्री : एक दर्जन से अधिक नाम सीधे राहुल गांधी की सहमति से शामिल किए गए हैं। इनमें वर्तमान और पूर्व विधायकों के साथ सागर ग्रामीण अध्यक्ष बनाए गए भूपेन्द्र सिंह मोहासा भी शामिल हैं।
मुकेश पटेल अलीराजपुर, विपिन वानखेड़े इंदौर ग्रामीण, कुंवर सौरभ सिंह कटनी शहर, डॉ अशोक मर्सकोले मंडला, सुनीता पटेल नरसिंहपुर, प्रियव्रत सिंह राजगढ़, हर्ष विजय गहलोत रतलाम ग्रामीण, निलय डागा बैतूल, संजय यादव जबलपुर ग्रामीण, रविन्द्र महाजन बुरहानपुर ग्रामीण, जतन उईके पांढुर्णा।