Aakash Waghmare
22 Dec 2025
रायपुर। छत्तीसगढ़ में Chhattisgarh Liquor Scam मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ करीब 3800 पन्नों की आठवीं चार्जशीट पेश की है। चार्जशीट में दावा किया गया है कि, चैतन्य बघेल इस घोटाले से सीधे जुड़े थे और उन्हें लगभग 200-250 करोड़ रुपए की अवैध कमाई हुई। EOW और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में यह खुलासा हुआ कि, शराब घोटाले में सिर्फ चैतन्य ही नहीं, बल्कि कई अन्य अधिकारी और कारोबारी भी शामिल थे।
EOW की जांच के मुताबिक, चैतन्य बघेल ने तत्कालीन आबकारी विभाग में वसूली तंत्र (सिंडिकेट) को स्थापित किया और उसे नियंत्रित किया। उन्होंने अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास जैसे अधिकारियों और जमीनी स्तर के मुखियों जैसे अनवर ढेबर, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल के बीच तालमेल बैठाया। उनका काम सिंडिकेट के संचालन की रणनीति तय करना और अधिकारियों तथा जमीनी स्तर के लोगों को मार्गदर्शन देना था।
EOW का दावा है कि, चैतन्य बघेल ने सिंडिकेट द्वारा इकट्ठा की गई अवैध रकम को अपने भरोसेमंद लोगों के माध्यम से उच्च स्तर तक पहुंचाया। इस रकम का एक बड़ा हिस्सा उनके रियल एस्टेट प्रोजेक्ट “विठ्ठल ग्रीन” में निवेश किया गया।
ED की जांच में खुलासा हुआ कि, चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से प्राप्त रकम को बैंकिंग चैनल और पारिवारिक मित्रों के जरिए वैध संपत्ति के रूप में दिखाने की कोशिश की। भिलाई के सराफा कारोबारी से 5 करोड़ रुपए की कैश राशि प्राप्त की। बघेल डेवलपर्स के “विठ्ठल ग्रीन” प्रोजेक्ट में नकद भुगतान 4.2 करोड़ रुपए की पुष्टि डिजिटल जांच में हुई। त्रिलोक सिंह ढिल्लों के माध्यम से नकद रकम फर्म में पहुंचाई गई। ED ने चैतन्य बघेल के पास 16.70 करोड़ रुपए की ब्लैक मनी की पुष्टि की। इसके अलावा बड़ी रकम चैतन्य ने अपने परिवार, मित्र और सहयोगियों के जरिए वैध निवेश के रूप में दिखाने की कोशिश की।
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EOW की चार्जशीट के मुताबिक लगभग 2,174 करोड़ रुपए का बंटवारा इस प्रकार हुआ:
नेता-मंत्रियों को: 1,392 करोड़ 45 लाख
शराब डिस्टलर्स: 358 करोड़ 65 लाख
अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा: 181 करोड़ 52 लाख
आबकारी विभाग और जिला अधिकारी: 90 करोड़ 76 लाख
विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह: 60 करोड़ 50 लाख
कुल राशि अभी तक की जांच में लगभग 3,074 करोड़ रुपए है और आगे की जांच में यह 3,500 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है।
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ED की जांच में यह भी सामने आया कि चैतन्य बघेल शराब सिंडिकेट के शीर्ष पर थे। राजनीतिक प्रभाव के कारण नेटवर्क का नियंत्रण और निर्णय लेने की जिम्मेदारी उनके पास थी। उन्होंने इकट्ठा की गई अवैध रकम को रियल एस्टेट और वैध व्यवसाय में लेयरिंग कर वैध संपत्ति के रूप में दिखाने की कोशिश की।
सिंडिकेट के तहत घोटाला तीन कैटेगरी में हुआ:
डिस्टलरी संचालकों से कमीशन- प्रति पेटी कमीशन लिया गया।
नकली होलोग्राम वाली शराब सरकारी दुकानों में बेचना- एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर तैयार किया गया।
कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से बिक्री और रिकॉर्ड छुपाना- 15 जिलों में नकली बिक्री का संचालन।
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