इंदौर। आईएएस संतोष वर्मा से जुड़े फर्जी न्यायिक आदेश कांड में अब घटनाक्रम ने नया और चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में आरोपियों को जमानत देने वाले सेशन जज का तबादला कर दिया गया है, जिससे पूरे प्रकरण में न्यायिक भूमिका और फैसलों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
हाईकोर्ट का आदेश, इंदौर से रामपुर रवाना
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट जबलपुर के रजिस्ट्रार जनरल ने इंदौर जिला न्यायालय में पदस्थ सेशन जज प्रकाश कसेरा का तबादला आदेश जारी किया है। उन्हें इंदौर से सीधे रामपुर सेशन कोर्ट में पदस्थ किया गया है। यह आदेश एक दिन पहले पारित हुआ, जिसने न्यायिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
2021 का फर्जी आदेश मामला
थाना एमजी रोड पुलिस ने वर्ष 2021 में आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ फर्जी न्यायिक आदेश तैयार करने के आरोप में अपराध क्रमांक 155/2021 दर्ज किया था। जांच में सामने आया कि इस साजिश में इंदौर में तत्कालीन पदस्थ सेशन जज वीरेन्द्र सिंह रावत और उनकी कोर्ट की टाइपिस्ट नीतू सिंह की भूमिका संदिग्ध रही है।
जमानत देने वाला आदेश बना विवाद की जड़
इसी मामले में सेशन जज प्रकाश कसेरा ने पहले आरोपी जज वीरेन्द्र सिंह रावत को अग्रिम जमानत दी ,और बाद में पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई टाइपिस्ट नीतू सिंह को 19 दिसंबर 2025 को रिमांड अवधि के दौरान जमानत प्रदान की इन जमानत आदेशों के बाद से ही मामला न्यायिक संरक्षण और अंदरूनी सेटिंग के आरोपों से घिर गया था।
तबादला या संकेत?
जमानत के कुछ ही दिनों बाद सेशन जज का तबादला होना अब संयोग नहीं, बल्कि सिस्टम में चल रही गहरी हलचल का संकेत माना जा रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या जमानत आदेशों पर ऊपर तक आपत्ति दर्ज की गई? या फिर फर्जी आदेश जैसे गंभीर अपराध में न्यायिक नरमी भारी पड़ गई?
जांच के घेरे में और चेहरे?
सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में जांच अभी खत्म नहीं हुई है और आने वाले दिनों में और भी न्यायिक व प्रशासनिक चेहरों पर शिकंजा कस सकता है। आईएएस संतोष वर्मा से जुड़ा यह फर्जी आदेश कांड अब केवल एक केस नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता की परीक्षा बनता जा रहा है।