Naresh Bhagoria
5 Nov 2025
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को भोपाल के अचारपुरा में आयोजित औद्योगिक इकाइयों के शिलान्यास कार्यक्रम में कहा कि मध्यप्रदेश अब निवेश और औद्योगिक विकास की नई कहानी लिख रहा है, जहां हर दिन उद्योगों की वर्षा हो रही है। उन्होंने कहा कि अब सावन एक महीने का नहीं, बल्कि पूरा साल सावन जैसा हो गया है, क्योंकि हर दिन रोजगार, समृद्धि और उद्योगों की सौगात मिल रही है।
सीएम ने कहा कि वे प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए इंग्लैंड, जापान, जर्मनी और दुबई जैसे देशों में जाकर निवेशकों से संवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश को वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर चमकाना मेरा लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घोषणाएं करते हुए कहा कि प्रदेश के उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों को 5000 प्रति माह की सहायता दी जाएगी। दिवाली के बाद प्रदेश की बहनों को 1500 प्रतिमाह की स्थायी सहायता दी जाएगी, जिसे 2028 तक बढ़ाकर 3000 किया जाएगा। सीएम डॉ. यादव ने कहा कि ये कारखाने मेहनत के मंदिर हैं, जो लोगों की ज़िंदगी में समृद्धि और आनंद भर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आचारपुरा में तैयार होने वाले वस्त्रों को दुनिया भर में सराहा जा रहा है। उन्होंने कहा, हमारे कपड़े आचारपुरा में बनते हैं और पहनने वाले अमेरिका से बुलाते हैं। पूंजी और मेहनत जब मिलती है, तो उसकी सुगंध पूरी दुनिया में फैलती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में प्रदेश को ‘दूध की राजधानी’ और रोजगार-समृद्धि का केंद्र बनाने का लक्ष्य दोहराया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की खेती, उद्योग और सेवा क्षेत्र तीनों में तेज़ी से विकास हो रहा है, जिससे युवाओं को रोज़गार और महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा समर्थन मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि 2014 में भारत विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, आज यह चौथे स्थान पर है। यह प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व और सुशासन का परिणाम है। डॉ. यादव ने कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी की टीम का हिस्सा हैं और यह टीम ‘कहती है और करके दिखाती है’।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2002-03 में प्रदेश में मात्र 7 लाख हेक्टेयर सिंचित भूमि थी, जो आज 55 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है। सरकार का लक्ष्य है कि इसे 100 लाख हेक्टेयर तक ले जाया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश का कृषि आधार अब इतना मजबूत हो गया है कि यहां से गेहूं का निर्यात भी हो रहा है।