Priyanshi Soni
11 Oct 2025
नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि डिजिटल युग में लड़कियां नई तरह की चुनौतियों और खतरों का सामना कर रही हैं। उन्होंने चिंता जताई कि तकनीक, जो कभी सशक्तिकरण का जरिया थी, अब शोषण का माध्यम बनती जा रही है। CJI ने कहा कि ऑनलाइन हैरेसमेंट, साइबर बुलिंग, डिजिटल स्टॉकिंग, निजी डेटा का दुरुपयोग और डीपफेक तस्वीरें अब लड़कियों के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। वे सुप्रीम कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी और यूनिसेफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘सेफगार्डिंग द गर्ल चाइल्ड’ को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्री भी मौजूद थीं।
CJI गवई ने कहा कि अब जरूरी है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी डिजिटल युग के अपराधों को समझने के लिए प्रशिक्षित हों। उन्होंने कहा- लड़कियों के खिलाफ साइबर अपराधों को संभालने में संवेदनशीलता और समझदारी दोनों जरूरी हैं। पुलिस और जांच एजेंसियों को विशेष प्रशिक्षण मिलना चाहिए ताकि वे ऐसे मामलों में पीड़ितों की सुरक्षा और सम्मान का ध्यान रख सकें।
CJI गवई ने कहा कि संविधान में समानता की गारंटी होने के बावजूद देश की कई लड़कियों को आज भी बुनियादी अधिकारों और सम्मान से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति उन्हें यौन शोषण, मानव तस्करी, बाल विवाह और सामाजिक भेदभाव की परिस्थितियों में धकेलती है। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ‘Where the Mind is Without Fear’ का उल्लेख करते हुए कहा- जब तक कोई भी लड़की भय में जी रही है, तब तक भारत उस ‘स्वतंत्रता के स्वर्ग’ तक नहीं पहुंच सकता जिसकी कल्पना टैगोर ने की थी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अब खतरे भौतिक दायरे से निकलकर वर्चुअल दुनिया तक फैल गए हैं। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर तकनीक शिक्षा और अवसर का माध्यम है, वहीं यह शोषण और उत्पीड़न का नया हथियार भी बन गई है। उन्होंने सभी संस्थाओं से आग्रह किया कि साइबर स्पेस में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाए जाएं।
सम्मेलन में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि एक लड़की तभी बराबर की नागरिक कहलाएगी जब उसे वही अवसर, संसाधन और सम्मान मिलेगा जो एक लड़के को मिलता है। उन्होंने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समानता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि हर लड़की का अधिकार है कि वह भय और भेदभाव से मुक्त होकर शिक्षा, स्वास्थ्य और समान अवसरों के साथ आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि समाज तभी प्रगतिशील कहलाएगा, जब लड़कियों की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
यह सम्मेलन लड़कियों की सुरक्षा, न्याय तक पहुंच और डिजिटल खतरों से बचाव के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। यूनिसेफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय रणनीति तैयार करने पर भी चर्चा की।