Naresh Bhagoria
10 Nov 2025
फिल्मी दुनिया की चमक-दमक में सफलता अक्सर तुरंत हासिल होती दिखाई देती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हर कलाकार की यात्रा इतनी आसान नहीं होती। अशुतोष राणा की कहानी इसी संघर्ष और समर्पण की जीवंत मिसाल है। कई वर्षों तक मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास के साथ उन्होंने अपनी पहचान बनाई और अंततः वह सफलता पाई जो स्थायी और प्रेरणादायक है। आज, जब यह अभिनेता अपना 58वाँ जन्मदिन मना रहे हैं, आइए जानें उनके जीवन, संघर्ष और सफलता की अनकही कहानी।
अशुतोष राणा का जन्म 10 नवंबर 1967 को मध्य प्रदेश के गाडरवारा, नरसिंहपुर जिले में हुआ। बचपन से ही उनमें अभिनय की रुचि दिखाई दी और उन्होंने स्थानीय रामलीला में रावण का किरदार निभाया। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने डॉ. हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और नई दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से नाट्य कला में प्रशिक्षण लिया।
आशुतोष राणा का असली नाम आशुतोष नीखरा है और उनके पिता का नाम राम नारायण नीखरा था। बचपन से ही आशुतोष अपने पिता के व्यक्तित्व और संस्कारों से बेहद प्रभावित रहे। उन्होंने अपने पिता के नाम “राम” और “नारायण” के अक्षरों को मिलाकर नाम आशुतोष राणा रखा। आज वे इसी नाम से पूरे बॉलीवुड और जनता के बीच पहचाने जाते हैं। उनका यह नाम केवल एक पहचान नहीं है, बल्कि उनके जीवन में पिता के योगदान, आदर्श और प्रेरणा का प्रतीक भी है।

अशुतोष राणा का परिवार काफी विस्तृत और प्रतिष्ठित है। उनके पिता का नाम राम नारायण नीखरा है और माता के बारे में बहुत अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं है। उनके चार भाई और एक बहन हैं ,प्रोफेसर नंद कुमार नीखरा, वकील जयंती कुमार नीखरा, मार्केटिंग वाइस‑प्रेसिडेंट मदन मोहन नीखराऔर बहन कामिनी गुप्ता। वे पूर्व कांग्रेस सांसद एवं राज्य उपाध्यक्ष रमेश्वर नीखरा के चचेरे भाई भी हैं। अभिनेता अशुतोष राणा ने टीवी और फिल्म अभिनेत्री रेणुका शाहाने से लगभग तीन वर्षों की डेटिंग के बाद 25 मई 2001 को विवाह किया। यह विवाह उनकी आध्यात्मिक गुरु की सलाह पर तय हुआ था। इस जोड़ी के दो पुत्र हैं शौर्यमान और सत्येन्द्र राणा। विवाह के समय कुछ लोगों को यह रिश्ता टिकने वाला नहीं लग रहा था, लेकिन परिवार और गुरु के समर्थन से उनका वैवाहिक जीवन सफल रहा।
आशुतोष राणा का जन्म 1967 में हुआ। वे उत्तर प्रदेश के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनके शुरुआती जीवन में ही अभिनय के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और थिएटर में प्रशिक्षण लिया। 1990 के दशक में उन्होंने मुंबई में कदम रखा और छोटे-छोटे रोल्स करना शुरू किया। शुरुआत में उन्हें मुख्यधारा की फिल्मों में बड़ा अवसर नहीं मिला, लेकिन थिएटर और टीवी में लगातार काम करते रहे। आशुतोष राणा को बॉलीवुड में असली पहचान 1998 में आई फिल्म Dushman से मिली, जिसमें उन्होंने खलनायक का बेहद प्रभावशाली किरदार निभाया। इसके बाद Sangharsh (1999) में उनके किरदार ने दर्शकों को रोमांचित किया। इन्हीं फिल्मों के दम पर वे निगेटिव और सख्त किरदार निभाने वाले अभिनेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनकी गहरी आवाज़, तीव्र भाव-भंगिमा और सटीक संवाद उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाते हैं। आशुतोष राणा सिर्फ खलनायक तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने Sarfarosh (1999) में पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया, जिसने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया। इसके अलावा Shool (1999) में भ्रष्टाचार और राजनीति के खिलाफ लड़ते एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में उनका प्रदर्शन भी बेहद यादगार रहा। उन्होंने हास्य और गंभीर दोनों तरह के रोल निभाए, जिससे उन्हें इंडस्ट्री में लंबे समय तक काम करने का मौका मिला।
आशुतोष राणा ने नाटकीय और फिल्मी मंचों पर रावण का किरदार निभाया है, जिसमें उनके भीतर के सशक्त और गहन भावनाओं को उभारा गया। रावण का यह रूप उनके अभिनय कौशल का बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ उन्होंने किरदार की जटिलता, मानसिक गहराई और शक्ति को जीवंत किया। उनकी अन्य महत्वपूर्ण फिल्में हैं Masti (2004), जहां उन्होंने कॉमिक टाइमिंग दिखाई, और Raees (2017), जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाई। इसके अलावा Jungle (2000) और Welcome (2007) जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाएँ भी दर्शकों को प्रभावित करने वाली रही हैं। इन फिल्मों ने उन्हें एक सशक्त अभिनेता के रूप में स्थापित किया, जो छोटे या बड़े रोल में भी यादगार किरदार निभा सकता है।

आशुतोष राणा केवल एक बहुमुखी अभिनेता ही नहीं हैं, बल्कि वे भगवान शिव, विशेषकर महाकाल के गहरे भक्त भी हैं। अपनी सादगी और अनुशासन में उनकी भक्ति स्पष्ट झलकती है। उन्होंने कई इंटरव्यू और मीडिया बातचीत में बताया है कि भगवान शिव की भक्ति उनके जीवन और सोच का अहम हिस्सा है। राणा की भक्ति सिर्फ निजी जीवन तक सीमित नहीं है; यह उनके व्यक्तित्व और काम में भी दिखाई देती है। उनके गंभीर और शक्तिशाली किरदार निभाने की क्षमता में यह आध्यात्मिक ऊर्जा झलकती है। उनकी आस्था उन्हें मानसिक स्थिरता, धैर्य और जीवन में सच्चाई के प्रति प्रतिबद्धता देती है। महाकाल के प्रति उनकी भक्ति यह संदेश भी देती है कि कलाकार केवल मनोरंजन के माध्यम से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी प्रेरणा दे सकते हैं।
आशुतोष राणा का सफर यह दर्शाता है कि अगर मेहनत, धैर्य और उद्देश्य हो तो व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में पहचान बना सकता है। बॉलीवुड में उन्होंने अपनी कला और मेहनत से अपनी जगह बनाई, और समाज सेवा और जन जागरूकता के लिए कदम बढ़ाया।