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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर जदयू और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बन चुकी है, वहीं लोजपा रामविलास (LJP-RV) और बीजेपी के बीच मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। इसी बीच लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने पार्टी की एक आपातकालीन बैठक बुलाई है, जिससे NDA के भीतर तनाव और बढ़ गया है।
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक आज पटना स्थित लोजपा रामविलास के प्रदेश कार्यालय में होगी। बैठक की अध्यक्षता पार्टी के सांसद और चुनाव प्रभारी अरुण भारती करेंगे। इसमें पार्टी के सांसद, पूर्व विधायक, जिला इकाइयों के प्रतिनिधि और प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे। बैठक में NDA के साथ सीट बंटवारे पर पार्टी की रणनीति तय की जाएगी और यह भी चर्चा होगी कि बीजेपी पर दबाव कैसे बनाया जाए।
7 अक्टूबर को दिल्ली में चिराग पासवान और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक हुई थी। इसमें धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और मंत्री मंगल पांडे शामिल थे। लेकिन बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। बैठक के बाद चिराग पासवान बिना कुछ कहे दिल्ली से पटना लौट आए और तुरंत पार्टी की आपात बैठक बुला ली।
एनडीए के भीतर विवाद की जड़ सीटों की संख्या और मनपसंद सीटों की मांग है। लोजपा रामविलास का कहना है कि, उसे अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में उचित सीटें मिलनी चाहिए। वहीं बीजेपी कुछ सीटें देने से इनकार कर रही है, जिन पर जदयू या अन्य सहयोगियों का कब्जा है।
लोजपा रामविलास ने जिन सीटों पर दावा किया है, उनमें प्रमुख हैं-
गोविंदगंज (पूर्वी चंपारण) – यहां 2015 में लोजपा के राजू तिवारी विधायक रह चुके हैं, फिलहाल यह सीट बीजेपी के पास है।
ब्रह्मपुर (बक्सर) – पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष हुलास पांडे के लिए यह सीट मांगी गई है।
राजापाकड़ (हाजीपुर) – यह सुरक्षित सीट है, पार्टी इसे अपने खाते में चाहती है।
महुआ सीट (वैशाली) – इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा का भी दावा है।
लालगंज और हायाघाट सीटें – इन दोनों सीटों पर भी लोजपा की दावेदारी है।
इसके अलावा जमुई और चकाई सीटों को लेकर भी एनडीए के अंदर मतभेद बढ़ गया है।
चकाई से मौजूदा निर्दलीय विधायक सुमित सिंह जदयू के टिकट पर दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि सिकंदरा सीट फिलहाल हम पार्टी के पास है।
लोजपा रामविलास का दावा है कि उसे 25 से 40 सीटों की पेशकश मिलनी चाहिए, जबकि बीजेपी सिर्फ 25 सीटों का प्रस्ताव दे रही है। पार्टी का मानना है कि, पिछली बार के चुनावों और सामाजिक आधार के हिसाब से उन्हें ज्यादा सीटें मिलनी चाहिएं। सूत्रों के मुताबिक, अगर सहमति नहीं बनी तो लोजपा स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विकल्प भी खुला रख सकती है।
आज होने वाली बैठक में पार्टी संगठन के भीतर आम राय बनाकर बीजेपी पर दबाव बढ़ाने की रणनीति तय करेगी। बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि, अगर सीट बंटवारे में लोजपा की मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो पार्टी एनडीए से दूरी बनाकर अलग मोर्चा बनाने पर भी विचार कर सकती है।
बिहार में सिर्फ एनडीए ही नहीं, इंडिया गठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध जारी है। कांग्रेस ने अब तक 25 संभावित उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिससे राजद (RJD) पर दबाव बढ़ गया है। जानकारी के मुताबिक, RJD 135-140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जबकि कांग्रेस को 50-52 सीटें देने की पेशकश की गई है। हालांकि कांग्रेस 70 सीटों की मांग कर रही है। वाम दलों को भी 20-25 सीटें पर्याप्त नहीं लग रही हैं।
इधर, बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में भी प्रत्याशियों के चयन को लेकर बैठक हुई। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 11 और 12 अक्टूबर को दिल्ली में होगी, जहां सीट बंटवारे और उम्मीदवारों की सूची पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी।
एनडीए के भीतर लोजपा और बीजेपी के बीच यह विवाद अगर जल्द नहीं सुलझा, तो इसका असर पूरे बिहार चुनाव 2025 के समीकरणों पर पड़ सकता है। अगर चिराग पासवान की मांगें नहीं मानी गईं, तो एनडीए में दरार की संभावना भी बढ़ जाएगी। वहीं अगर आज की बैठक में सकारात्मक रुख रहा, तो आने वाले दिनों में सीटों का अंतिम बंटवारा घोषित किया जा सकता है।